एप्पल न्यूज़, शिमला हिमाचल प्रदेश में घोटालों की फेहरिस्त में कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है। हाल ही में पीपीई खरीद में रिश्वत घोटाले में निदेशक स्वास्थ्य गिरफ्तार हुए और सस्पेंड हो गए थे। अब सचिवालय के सेनेटाइजर घोटाले में सचिवालय ब्रांच के सुपरिंटेंडेंट पर भी गाज गिर गई […]
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एप्पल न्यूज़, शिमला भाजपा प्रदेश महामंत्री त्रिलोक जम्वाल ने जारी बयान में कहा कि विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता एवं भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के दूसरे कार्यकाल का प्रथम वर्ष 30 मई को पूरा होने जा रहा है। उन्होनें कहा कि केन्द्र की […]
एप्पल न्यूज़, शिमलाभारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह के उस बयान को हास्यास्पद बताया है जिसमें उन्होंने नैतिकता के आधार मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से इस्तीफे की मांग की है। राकेश पठानिया ने विक्रमादित्य सिंह को याद दिलाया कि […]
एप्पल न्यूज़ ब्यूरो यह 1962 का साल था, जब बेल लैब्स ने पहला दूरसंचार उपग्रह लॉन्च किया था। टेलस्टार के नाम से कई ‘सबसे पहले हासिल की गई उपलब्धियां’ जुड़ी हुई थीं, और इन उपलब्धियों में ही, टेलस्टार की सतह का सौर कोशिकाओं से ढका हुआ होना शामिल था, जो 14 वाट विद्युत शक्ति का उत्पादन करती थीं। इसका श्रेय जेम्स एम. अर्ली को गया। श्री अर्ली वास्तव में ‘अर्ली’ यानी बहुत पहले बता चुके थे! लगभग छह दशक बाद, हाल ही में एमआईटी के एक शोध पत्र में बताया गया है कि सोलर मॉड्यूल की कीमत पिछले 40 वर्षों में 99% कम हुई है। और जो मैं देख रहा हूं, उसके अनुसार मुझे अगले 40 वर्षों में कीमतों में 99% की और कमी आने की उम्मीद है, जो संभवत: बिजली की सीमांत लागत को शून्य कर देगा। इस तरह की कमी का मतलब है दो व्यावसायिक मॉडल के सह-अस्तित्व का होना – एक जीवाश्म ईंधन पर आधारित मॉडल और दूसरा नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित मॉडल। ये दोनों मॉडल निकट भविष्य में एक-दूसरे के पूरक बनेंगे, लेकिन लंबी अवधि में देखें तो नवीकरणीय ऊर्जा का ही भविष्य बेहतर दिखता है। कोविड–19 ने हमें सच्चाई का अहसास कराया आज जब कोविड-19 हमारे जीवन की मूलभूत धारणाओं को चुनौती दे रही है, तो ऊर्जा क्षेत्र में हरित क्रांति की जरूरत को अधिक महत्व मिलता दिख रहा है। हालांकि तत्कालिक आर्थिक प्रभाव हमारी गति को धीमा कर सकता है, लेकिन हमारे सामने कम कार्बन वाले भविष्य में तेजी से रूपांतरित होने के लिए ठहर कर विचार करते हुए डिजाइन करने का अवसर है। इसके अलावा, यूरोप में कई सिस्टम ऑपरेटर, जो गिरती मांग के साथ इसका सामना कर रहे हैं, एनर्जी मिक्स में जो अक्सर 70% तक रहता है, नवीकरणीय ऊर्जा के उल्लेखनीय उच्च स्तर पर ग्रिड का प्रबंधन करना सीख रहे हैं। यह सीखना अनमोल है क्योंकि इस तरह का परिदृश्य कुछ महीने पहले ही संभव नहीं था। हालांकि उत्पादन संतुलन मांग बढ़ने पर वापस लौट सकता है, लेकिन इस संकट ने ऑपरेटरों को नवीकरणीय उर्जा के मामले में उच्च स्तर के साथ ग्रिड को स्थिर रखने के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान की है। कोविड-19 महामारी के बाद के दौर में, यह नया मानदंड हो सकता है। जब अर्थशास्त्र और उद्देश्य मिलकर काम करते हैं जब अर्थशास्त्र और उद्देश्य मिलते हैं, तो नतीजे विघटनकारी हो सकते हैं। कहावत है कि नवीकरणीय ऊर्जा पर्यावरण के लिए तो अच्छी है, लेकिन व्यापार के लिए काफी हद तक बीते दिनों की बात है। आज, इसमें हम तेजी की प्रवृत्ति देख रहे हैं, जहां जलवायु परिवर्तन पर सरकारों की नीतियां, जन जागरूकता और कार्रवाई के लिए जन समर्थन, और बड़ी अर्थव्यवस्थाएं नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से बड़े पैमाने पर बाजार में मांग और रोजगार सृजन कर को बनाये रख रही हैं। इसके साथ ही, ऊर्जा आयात पर निर्भर देशों के लिए ऊर्जा सुरक्षा को संबोधित करती है। संभावित गेम चेंजर के रूप में हाइड्रोजन सिर्फ सौर ही नहीं, मुझे यह भी उम्मीद है कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इनोवेशन के कारण और ऑन-शोर एवं ऑफ–शोर नई पवन परियोजनाओं के लागू होने के कारण, पवन ऊर्जा की इकाई लागत में कमी आयेगी। सौर और पवन ऊर्जा में निवेशकों के बढ़ते भरोसे के साथ, विभिन्न भंडारण प्रौद्योगिकियों के साथ उनका एकीकरण ऊर्जा में परिवर्तन की गति को और तेज करेगा। हाइड्रोजन आने वाली प्रमुख भंडारण प्रौद्योगिकी प्रतीत होती है। मैं अंतत: हाइड्रोजन को लेकर व्यक्तिगत रूप से आशान्वित हूं। हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पानी के अणु का अपघटन हमेशा एक ईंधन के रूप में सपना रहा है जो ऊर्जा भंडारण का दोहरा लाभ देता है। औद्योगिक दुनिया हाइड्रोजन से परिचित है, और 90% से अधिक भाप सुधार से पैदा होता है, जो एक अंतर्निहित कार्बन-गहन प्रक्रिया होती है। हालांकि, अक्षय ऊर्जा के भविष्य की सीमांत लागत में तेजी से कमी आने की संभावना के कारण, विभाजित पानी द्वारा उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन गेम-चेंजर हो सकता है। यह हाइड्रोजन वितरण के लिए मौजूदा गैस पाइपलाइन नेटवर्क का अधिक उपयोग कर सकता है, प्राकृतिक गैस के साथ मिश्रित हो सकता है और रासायनिक उद्योग के लिए एक ग्रीन फीडस्टॉक हो सकता है। इसके अलावा, एक किलोग्राम हाइड्रोजन की ऊर्जा घनत्व गैसोलीन की तुलना में लगभग तीन गुना है, और आपके पास एक गति है जिसे रोकना असंभव होगा क्योंकि हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन की कीमतें नीचे आती हैं। हो सकता है कि हाइड्रोजन काउंसिल भविष्यवाणी कर दे कि ग्रीन हाइड्रोजन अगले दशक में 70 अरब डॉलर के निवेश को आकर्षित कर सकता है। इस पैमाने पर होने वाला व्यय कई उद्योगों को बाधित कर सकता है और साथ ही उन्हें बना भी सकता है, जिसके के बारे में कुछ कहना मुश्किल है। नौकरियों के बारे में आज की राजनीति और अर्थशास्त्र आवश्यक रूप से रोजगार सृजन के संबंधित है, यहां तक कि कोविड-19 से रिकवरी के दौर में भी यही सच है। इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) का अनुमान है कि स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार, जो फिलहाल 2020 में 12 मिलियन है, 2050 तक चौगुना हो सकता है, जबकि ऊर्जा दक्षता और सिस्टम फ्लेक्सिबिलिटी में नौकरियां 40 मिलियन तक और बढ़ सकती हैं। हाल ही में आईआरईएनए की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह परिवर्तन 2050 तक सौर, पवन, बैटरी भंडारण, ग्रीन हाइड्रोजन, कार्बन प्रबंधन और ऊर्जा दक्षता में 19 ट्रिलियन डॉलर के निवेश के अवसर पैदा कर सकता है, जो इसे सबसे बड़े वैश्विक उद्योगों में से एक बनाता है। भारत के लिए लाभ का अच्छा अवसर भारत के लिए लाभ का अच्छा अवसर है। हमारा देश स्वाभाविक रूप से बहुत उच्च स्तर के सौर संसाधनों से संपन्न है, और लंबा तटीय क्षेत्र पवन ऊर्जा के लिए एक आकर्षक संभावना है। स्थापित क्षमता के मामले में, भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग पहले से ही दुनिया भर में चौथे स्थान पर है, और अनुकूल भूगोल, उपकरणों की गिरती कीमतों, बढ़ती मांग और विश्वस्तरीय ट्रांसमिशन नेटवर्क का संयोजन का मतलब एक ऐसे उद्योग का होना है जिसके अगले दो दशकों तक बढ़ते रहने की उम्मीद है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इस क्षेत्र में पिछले एक दशक में 10 बिलियन डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ है। तथ्य यह है कि नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने पहले ही नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य पेरिस में स्थापित 175 GW के 2015 के प्रारंभिक लक्ष्य से 2022 तक 225 GW का लक्ष्य रखा है और उसके बाद 2030 तक लक्ष्य को बढ़ाकर 500 GW कर दिया है, जो भारत को वैश्विक ऊर्जा के क्षेत्र में प्रवेश करने में मदद करने के लिए सरकार की गंभीरता के साथ-साथ उसकी क्षमता का संकेत है। यद्यपि महामारी की तुलना में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव धीमा है, लेकिन मानवता के लिए इसका खतरा अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए, एक स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को अपनाने का मामला न केवल सरकारों द्वारा बल्कि उद्योग द्वारा भी लिया जाना चाहिए। भारत धीरे-धीरे और मजबूती से आगे बढ़ रहा है। कोविड-19 एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जहां समाज एक स्वच्छ भविष्य के लिए गति में तेजी लाते हुए आर्थिक पुनर्निर्माण के प्रयासों का लाभ उठाये। लेखक– गौतम अदाणी चेयरमैन, अदाणी ग्रुप
एप्पल न्यूज़, शिमला राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने यहां जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश में घरेलू उड़ानों और ट्रेनों द्वारा यात्रियों की आवाजाही के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है।उन्होंने कहा कि फ्लाइट और ट्रेनों द्वारा राज्य में आने वाले लोगों के एंड्राॅइड और […]
एप्पल न्यूज़, शिमला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कोरोना माहमारी के चलते प्रदेश भाजपा सरकार की छत्र छाया में व्याप्त भ्रष्टाचार की कड़ी निदा की है। उन्होंने कहा है कि इस संकट की घड़ी में रिश्वत लेने के आरोप में स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी से साफ […]