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बेंगलुरू सम्मेलन में बोले पठानियां- विधायी संस्थाओं की लोगों में विश्वसनीयता बढ़ाने हेतु सदन में हो “सार्थक तथा परिणामयुक्त चर्चा”

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एप्पल न्यूज, शिमला/बेंगलुरू

  कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में चल रहे तीन दिवसीय 11वें राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत क्षेत्र सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने कहा कि हमारी विधायी संस्थाएँ  केन्द्रिय विधान मण्डल, राज्य सभा तथा विधान सभाएँ  लोकतन्त्र के असली मन्दिर हैं जहाँ चर्चाओं के माध्यम से लोगों की समस्याओं का हल निकाला जाता है तथा जरूरी कानूनी संशोधन किए जाते हैं।

  पठानियां ने कहा कि अब समय आ चुका है कि इन विधायी संस्थाओं की विश्वसनीयता बढ़ाने हेतु  चुने हुए  सदस्यों को सदन के अन्दर सार्थक, परिणामयुक्त तथा गुणात्मक चर्चाएं करनी होगी नहीं तो लोगों का जन प्रतिनिधियों से विश्वास उठ जाएगा तथा लोकतन्त्र खतरे में पड़ सकता है।

पठानियां ने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हमें चर्चाओं का स्तर बदलना होगा तथा सत्तापक्ष  व विपक्ष दोनों को जनता के प्रति अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।

  पठानियां ने कहा ‍कि विधायी संस्थाओं  की मजबुती के लिए हमें निरन्तर प्रयासरत रहना होगा तथा सदन के अन्दर गतिरोध के बजाए चर्चा का स्तर बढ़ाना होगा ताकि मंथन तथा चिंतन से हम लोगों की समस्याओं का  निराकरण कर सकें तथा एक स्वस्थ तथा मजबुत संसदीय प्रणाली की स्थापना में अपनी अहम भूमिका अदा कर सकें।

पठानियां ने कहा कि सदन में सार्थक चर्चा के माध्यम से जहाँ विधानपालिका अपनी जिम्मेवारी का शुद्व अंतकरण के साथ निर्वहन करेगी वहीं कार्यपालिका को भी अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करनी पड़ेगी।

 “विधायी संस्थाओं में संवाद और चर्चा: जन विश्वास  का आधार, जन आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम”  विषय पर अपना सम्बोधन देते हुए पठानियां ने हमारे शासन तंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए  संसदीय विचार – विमर्शों  को मजबूत करने  के महत्व पर बल दिया।

पठानियां ने विधान मण्डलों में सीमित  चर्चाओं और बार – बार होने वाले व्यवधानों से निपटने  के लिए नई राजनीतिक चेतना, सशक्त समितियों, साक्ष्य आधारित चर्चाओं और सदस्यों के प्रशिक्षण की पूरजोर सिफारिश की। उन्होने आर्टिफि‍शियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी उभरती चुनौतियों के मद्देनजर अग्रदर्शी विधान बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

उन्होने कहा कि हमें बड़े कठिन संघर्ष तपस्या तथा त्याग के बाद आजादी हासिल हुई है जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमियों  के लोगों की भागीदारी तथा  बलिदान  शामिल है जिसे नकारा नहीं जा सकता।

हमारे संविधान में समानता तथा स्वतन्त्रता  का उल्लेख है अर्थात हर निर्णय लेने में लोगों का विश्वास तथा उनकी अपेक्षाओं व अकांक्षाओं की पूर्ति होना  आवश्यक है तभी हम अपनी जिम्मेवारियों का असल में निर्वहन कर सकेंगे।

 पठानियां ने कहा कि जब जन प्रतिनिधि  सदन में  बोलते हैं वे सिर्फ भाषण नहीं दे रहे होते हैं बल्कि अपने मतदाताओं के सपनें और संघर्षों को प्रतिध्वनित कर रहे होते हैं। संसदीय बहस से ही कानून  बनते हैं जो लोगों के जीवन को बदलते हैं तथा हर नीति  गाँव, कस्बों तथा शहरों  को प्रभावित करती है।

पठानियां ने कहा कि भारत कैसा हो इसका स्वरूप कैसा होना चाहिए पर भी संविधान सभा में विस्तृत, सम्मानजनक तथा भावनात्मक चर्चा हुई है इससे भी हमें प्रेरणा लेनी चाहिए  कि बहस क्यों मायने रखती है।

आज हमारा संविधान  जहाँ 140 करोड़  भारतीयों को सम्मान से  जीने का हक प्रदान करता है वहीं  जन प्रतिनिधियों को बदलने की  शक्ति भी हमें देता है यह संविधान सभा में बहस, संवाद  तथा चर्चाओं से सम्भव हो पाया है।

  कुलदीप पठानियां ने कहा कि भारत में सरकार पर विश्वास भाषण और नारों से नहीं आता बल्कि कार्रवाई से आता है और कार्रवाई से पहले चर्चा होती है। जब कोई सांसद सदन में विदर्भ के किसानों  की या बुँदेलखण्ड में पेयजल  की कमी के बारे सरकार से सवाल पूछता है तो ऐसी चर्चा से पता चलता है कि उनकी समस्याएँ  अदृश्य नहीं है बल्कि कोई  है जो उनका प्रतिनिधित्व  करता है।

उनकी  समस्याओं के बारे में चितिंत है वह कोई और नहीं  बल्कि उनका अपना है। सांसद हो या विधायक सदन मे अपनी चिंताओं को उठाते देखकर  लोगों का लोकतन्त्र  में विश्वास बढ़ता है।

पठानियां ने कहा कि एक नेता का विश्वास लोगों के बीच नारों से नहीं बल्कि जनता की सेवा करने  की उसकी ईमानदारी  और संसद  या राज्य विधान सभाओं में होने वाली बहसों  और चर्चाओं  में उसकी  भागीदारी से बनता है। अकांक्षाएँ वादों से नहीं बल्कि  भागीदारी से पूरी होती हैं।

पठानियां ने  विधि निर्माताओं से विचार – विमर्श  में सार्थक योगदान देने और विधायी संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने का आग्रह करते हुए अपने सम्बोधन का समापन किया।

विधान सभा अध्यक्ष  कुलदीप सिंह पठानियां तथा विधान सभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने सम्मेलन आरम्भ होने से पूर्व कर्नाटक विधान सभा अध्यक्ष यू0 टी0 खादर फरीद के साथ सम्मेलन स्थल के बाहर लगे विभिन्न उत्पादों के प्रदर्शनी स्टॉल का निरिक्षण किया । सभागार में  विधान सभा उपाध्यक्ष विनय कुमार भी मौजूद थे।

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