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हिमुडा के अधिकारीयों से मानसिक रूप से परेशान हो चुका है दिव्यांग का परिवार, थक हार कर दिव्यांग ने सीएम से लगाई सहायता की गुहार


दिव्यांग जनों के सरकारी दफ्तरों में काम सख्त निर्देशों के बाद भी अधर में

एप्पल न्यूज़, सिरमौर
पांवटा साहिब ने शारीरिक रूप से अक्षम एक व्यक्ति व उसके परिवार ने हिमुडा (Himachal Pradesh Housing And Urban Development Authority ) द्वारा परेशान किए जाने का आरोप लगाया है। हिमुडा से संपत्ति बेचने के लिए परमिशन लेटर के चककर में युवक व् उसके परिवार को मानसिक रूप से परेशान होना पड़ रहा है। हिमुडा के अधिकारियों से संतोषजनक पक्ष न पाने की सूरत में दिव्यांग ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप कर सहयोग की गुहार लगाई है।

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विकलांगों के कल्याण के लिए और उनकी सहायता के लिए सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। दिव्यांग जनों के सरकारी दफ्तरों में काम जल्दी निपटा इसके लिए सरकार ने सख्त निर्देश भी दिए हैं। लेकिन सरकारी विभागों के अधिकारी शासन की व्यवस्थाओं को पलीता लगा रहे हैं।एक एसा ही मामला पांवटा साहिब का है जहाँ पांवटा साहिब निवासी विनय कुमार जैन शारीरिक रूप से 80% दिव्यांग है , विनय की पत्नी ज्योति भी शारीरिक रूप से 70% दिव्यांग है। दोनों के पास डेढ़ वर्ष की छोटी बेटी है जबकि विनय कुमार जैन की माँ पेशे से अध्यापिका है। विनय के पिता का वर्ष 2003 में देहांत हो गया था जो पेशे से चिकित्सक थे। विनय जैन के स्वर्गीय दादा जग रोशन लाल जैन की शिमला के सेक्टर-1 न्यू शिमला में हाउस b-87 में वर्ष 1996 में हिमुड़ा से ग्राउंड फ्लोर एक स्कीम के तहत टेनेंसी डीड से खरीदा था। 1999 में नगर निगम शिमला से नक्शा मंजूर करवा कर पहली और दूसरी मंजिल का निर्माण करवाया। जून 2016 को दादा के देहांत के बाद परिवार के अन्य सदस्यों के साथ विनय जैन को भी संपत्ति का मालिकाना हक मिला। अगस्त 2017 में सब ने इस संपत्ति को हिमुड़ा से फ्री होल्ड करवा कर नवंबर 2019 में पहली मंजिल का मालिकाना हक ले लिया। विनय जैन का मकान शिमला में हिमुडा कॉलोनी में बना है। लिहाजा मकान बेचने के लिए विनय जैन को हिमुडा से क्लीयरेंस सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है। सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद भी हिमुडा के अधिकारी उन्हें संबंधित कागजात उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं। और बार-बार कोई ना कोई अड़ंगा डाल रहे हैं। ऐसे में परेशान विनय जैन ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के नाम एक वीडियो पोस्ट किया है। वीडियो में विनय जैन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि उनके काम में सरकारी अड़ंगे को खत्म किया जाए।
कोरोना काल में पांवटा साहिब से शिमला तक का सफर करना और फिर वहां दिनभर सरकारी दफ्तरों में धक्के खाना, दिव्यांग विनय जैन के लिए बड़ी मुसीबत है। लेकिन मजबूरी में सभी काम करने पड़ रहे हैं। हालांकि विनय जैन और उनकी माता ने मकान बेचने संबंधित सभी सरकारी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली हैं। हिमुडा ने जो ऑब्जेक्शन लगाए थे उन्हें भी पूरा कर लिया है। लेकिन बावजूद इसके वही ऑब्जेक्शन दोबारा लगाया गया है। ऐसे में दिव्यांग परिवार सिस्टम पर सवाल उठा रहा है।
विनय जैन और उनकी दिव्यांग पत्नी के समक्ष उनकी दिव्यांगता सबसे बड़ी समस्या है। उस पर संवेदनहीन सरकारी तंत्र की मार जीवन को कठिनाइयों में डाल रहा है। अपनी समस्याएं अलग है। पांवटा साहिब से शिमला का सफर और वहां दिनभर दफ्तरों में धक्के खाना इस परिवार के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। विनय जैन की पत्नी 70 फ़ीसदी दिव्यांग है। पति और सास जब शिमला के चक्कर काटते हैं तो दिव्यांग पत्नी के लिए डेढ़ साल की बच्ची को संभावना और घर के काम को निपटना बड़ी समस्या हो जाती है। दूसरी तरफ संवेदनहीन सरकारी तंत्र है जो सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद भी इनको मकान बेचने की इजाजत नहीं दे रहा है।

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