एप्पल न्यूज़, शिमला
कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सभी विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों से सहयोग मांगा है। उन्होंने सभी सदस्यों से कहा कि यह संकट का दौर है और सभी को मिलकर इससे लड़ना होगा। उन्होंने प्रदेश की जनता से भी अपील की कि वे कोविड-19 के लक्षणों -बुखार, खांसी व जुखाम आदि को बिल्कुल भी हलके में न लें और जल्द से जल्द स्वास्थ्य संस्थान पहुंचकर अपनी जांच करवाएं और अपना उपचार करवाएं। वे बुधवार को विधानसभा में कोविड-19 पर विशेष व्यक्तव्य दे रहे थे।
मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से आग्रह किया कि यह संदेश जन जन तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में कोविड-19 की टेस्टिंग को और भी बढ़ा रही है और लोगों को होम आइसोलेशन व कोविड-19 के उपचार व बचाव के प्रति हर माध्यम द्वारा जागृत कर रही है।
उन्होंने कहा कि कोविड के मामले में अनावश्यक चिंता की जगह सजग और सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही साथ सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों -परस्पर सामाजिक दूरी बनाए रखना, मास्क का उपयोग करना, हाथों को निरंतर समय-समय पर धोना- इत्यादि का पालन करने की आवश्यकता है। उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे लक्षण रहित कोरोना मरीजों व हलके लक्षणों वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने के लिए प्रोत्साहित करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता अब कोरोना संक्रमण के साथ दूसरी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों का अस्पताल में इलाज करवाना है। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव हो पाएगा, जब अस्पताल से कोविड के लक्षण रहित व हलके लक्षणों वाले कोरोना मरीजों को होम आइसोलेशन में भेजा जाएगा।
उन्होंने दिल्ली सरकार का हवाला देते हुए कहा कि वहां पर होम आइसोलेशन में रखे 95 हजार मरीज ठीक हुए हैं। हिमाचल में भी 1655 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग भी अब होम आइसोलेशन के लिए तैयार हो रहे हैं और इसे बढ़ावा देने को समाज में समाज में जागरूकता लानी होगी और इसमें विधायकों का अहम रोल होगा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पिछले 10-15 दिनों में यह देखा गया है कि प्रदेश में कोविड-19 से ग्रसित मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। यह सबके लिए चिंता का विषय अवश्य है, लेकिन वे सदन को आश्वस्त करते हैं कि प्रदेश सरकार बढ़ते हुए मरीजों के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार है।
उन्होंने कहा कि अभी तक बहुत कम कोविड-19 से ग्रसित मरीजों को ऑक्सीजन या फिर वेंटिलेटरज की आवश्यकता पड़ी है। इस समय भी स्वास्थ्य विभाग बढ़ते हुए मरीजों की देखभाल और उचित उपचार के लिए पूरी तरह तैयार है। प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए और उन सभी के लिए उपचार की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए पांच मेक शिफ्ट अस्पताल शिमला, टांडा, नालागढ़, ऊना और नाहन में स्थापित करने का निर्णय लिया है।
इन्हें वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत सरकार द्वारा बहुत की कम समय में तैयार कर दिया जाएगा। वहीं, सरकार ने प्रदेश की जनता को होम आइसोलेशन के प्रति भी जागृत करने के प्रयास किए हैं एवं होम आइसोलेशन के प्रति लोगों की स्वीकारिता भी बढ़ी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों को सामान्य करने के लिए उठाए गए कदमों से यह संभावित था कि कोविड-19 मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश की स्थिति को नियंत्रण में हैं।
उन्होंने कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ यह भी देखा गया है कि र्दुभाग्यवश मृत्यु की दर में बढ़ोतरी भी हुई है और यह भी देखने में आया है कि बहुत से लोग शुरूआती लक्षण जैसे कि बुखार, खांसी, जुखाम इत्यादि होने के बावजूद घर में ही इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी जांच नहीं करवा रहे हैं। उनका कहना था कि कोविड लक्षणों में एकदम बढ़ोतरी होने के बाद वह स्वास्थ्य संस्थानों में पहुंच रहे हैं और तक तक बहुत देर हो चुकी होती है।
उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित सुदृढ़ चिकित्सा प्रणाली के कारण कोविड-19 से होने वाली मौतों की दर अन्य राज्यों की तुलना में कम हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 30,409, दिल्ली में 4,806, राजस्थान में 1,264, पंजाब में 2,514, जम्मू कश्मीर में 914 एवं उत्तराखंड में 438 लोगों की मौत कोविड-19 से हुई है, जबकि हिमाचल में 88 मरीजों की मौत कोविड-19 से से हुई है। हिमाचल में मृत्यु दर 0.8 फीसदी है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह आंकड़ा 1.64 फीसदी है। वहीं, पड़ोसी राज्य पंजाब में यही दर 2.98 फीसदी है।