एप्पल न्यूज, मंडी/शिमला
हिमाचल प्रदेश में एक डॉक्टर से ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग में निवेश का लालच देकर 2.7 करोड़ रुपये की ठगी की गई। इस मामले ने साइबर अपराध की बढ़ती जटिलता और तकनीकी साधनों के दुरुपयोग को उजागर किया।
शिकायतकर्ता डॉक्टर अजय गोयल ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
ठगी की रणनीति और घटनाक्रम
इस मामले में ठगों ने बेहद पेशेवर तरीके से डॉक्टर को अपने जाल में फंसाया। उन्होंने खुद को जेपी मॉर्गन चेस बैंक का वरिष्ठ अधिकारी बताकर डॉक्टर से संपर्क किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि उनका निवेश उन्हें बड़े मुनाफे की गारंटी देगा।
डॉक्टर को निवेश के लिए एक वेबसाइट और मोबाइल ऐप का लिंक दिया गया। ये प्लेटफॉर्म असली दिखने के लिए पूरी तरह से फर्जी तरीके से डिजाइन किए गए थे।

इसके अलावा, डॉक्टर को एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जिसमें फर्जी निवेशक शामिल थे। ये लोग झूठे संदेश भेजकर डॉक्टर को मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित करते रहे, जैसे कि उनके निवेश पर भारी रिटर्न हो रहा है।
डॉक्टर ने ठगों के जाल में फंसकर धीरे-धीरे 2.7 करोड़ रुपये 13 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।
जांच और आरोपी
पुलिस जांच में पाया गया कि ठगी की रकम को 13 विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया, जिनमें से अधिकांश खाते बेनामी थे। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया:
- गौरव आहूजा (42): गुड़गांव निवासी और एक आईटी कंपनी में वरिष्ठ प्रबंधक। उसने ठगी की रकम को ठिकाने लगाने में मुख्य भूमिका निभाई।
- अमृत दास (40): गुड़गांव निवासी, जिसने फर्जी बैंक खातों के माध्यम से रकम का प्रबंधन किया।
- बाल मोहन (40): उत्तरकाशी निवासी, जिसने रकम की निकासी में अमृत दास की मदद की और बाद में यह रकम गौरव आहूजा को सौंपी।
गिरफ्तारी और कानूनी प्रक्रिया
तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। अदालत ने अपराध की गंभीरता और योजनाबद्ध तरीके को देखते हुए उन्हें 5 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। चौथा आरोपी प्रदीप अभी भी फरार है।
ठगी का विश्लेषण और साइबर अपराध की बढ़ती चुनौती
यह मामला दिखाता है कि साइबर अपराधी अब अत्यधिक योजनाबद्ध तरीके और तकनीकी साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ठगों ने फर्जी वेबसाइट, ऐप, और सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर डॉक्टर का भरोसा जीता। उन्होंने रकम को ट्रैकिंग से बचाने के लिए कई बैंक खातों का इस्तेमाल किया।
इस घटना ने साइबर अपराध की जटिलता को उजागर किया है, जहां अपराधी अपने शिकार की भावनाओं और लालच का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर ठगी कर रहे हैं।
सावधानियां और समाधान
- जागरूकता बढ़ाएं:
- अनजान कॉल या ईमेल पर भरोसा न करें।
- किसी भी निवेश योजना में कदम रखने से पहले उसकी वैधता की जांच करें।
- तकनीकी सहायता लें:
- फर्जी वेबसाइट और ऐप्स की पहचान के लिए साइबर विशेषज्ञों की मदद लें।
- डिजिटल लेनदेन के दौरान सतर्क रहें।
- साइबर क्राइम रिपोर्टिंग:
- ऐसे मामलों की तुरंत रिपोर्ट साइबर पुलिस को करें।
- साइबर अपराध के प्रति लोगों को शिक्षित करने के लिए अभियान चलाए जाएं।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल डॉक्टर के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बना, बल्कि समाज के लिए एक सबक भी है। यह दर्शाता है कि डिजिटल युग में जागरूकता और सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, साइबर अपराध के खिलाफ सख्त कदम उठाने और डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत है।