एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया रेप और मर्डर केस में आज चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट 8 पुलिस अधिकारियों को सजा सुनाएगी।
यह मामला 2017 में सामने आया था, जब शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र में 16 वर्षीय लड़की का शव एक जंगल में संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था। इस घटना ने राज्य और देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया था।
गुड़िया केस की जांच में पुलिस की भूमिका शुरू से ही सवालों के घेरे में थी। जांच में अनियमितताओं और साक्ष्य से छेड़छाड़ के आरोप लगे, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा।

18 जनवरी 2025 को सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में आईजी जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी, एसआई राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, ऑनरेरी हेड कांस्टेबल मोहन लाल और सूरत सिंह, हेड कांस्टेबल रफी मोहम्मद, और कांस्टेबल रंजीत सटेटा को दोषी करार दिया।
पुलिस अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच में बाधा पहुंचाई, सबूतों से छेड़छाड़ की और गलत तरीके से एक निर्दोष व्यक्ति को आरोपी बनाया।
इस व्यक्ति की हिरासत में कथित तौर पर मौत हो गई, जिसे लेकर आरोप लगाया गया कि यह पुलिस की प्रताड़ना का परिणाम था।
सीबीआई की जांच में यह बात सामने आई कि पुलिस ने असली अपराधियों को बचाने के लिए सबूतों को नष्ट किया और झूठी कहानी गढ़ी।
इस मामले में आईजी जहूर जैदी, जो उस समय जांच की निगरानी कर रहे थे, पर मुख्य जिम्मेदारी थी। उनके नेतृत्व में जांच टीम पर निष्पक्षता के उल्लंघन का आरोप लगा। डीएसपी मनोज जोशी और अन्य अधिकारियों ने भी साक्ष्य छिपाने और जांच को गुमराह करने में भूमिका निभाई।
सीबीआई की गहन जांच और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद असली सच्चाई सामने आई। दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को न्याय व्यवस्था की जीत और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।
आज अदालत इन अधिकारियों को सजा सुनाएगी। यह सजा न केवल पीड़िता के परिवार के लिए, बल्कि न्याय व्यवस्था में लोगों के विश्वास को बनाए रखने के लिए भी अहम मानी जा रही है।
जनता को उम्मीद है कि इस मामले में न्याय होगा और यह फैसला अन्य अधिकारियों के लिए एक चेतावनी का काम करेगा।