एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और रेरा (भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण) के अध्यक्ष श्रीकांत बाल्दी पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी खजाने से 10 लाख रुपये के सेब अपने मित्रों और राजस्थान के अधिकारियों को भेजे।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब संबंधित दस्तावेज़ मीडिया के हाथ लगे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सेब की आपूर्ति का भुगतान सरकारी धन से किया गया था।
श्रीकांत बाल्दी 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन सेवानिवृत्ति से पहले ही उन्हें जयराम ठाकुर सरकार द्वारा रेरा के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था। उनकी इस नियुक्ति ने भी उस समय सवाल खड़े किए थे, क्योंकि सेवानिवृत्ति से पहले ही उन्हें एक महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करना असामान्य माना जाता है।

इस प्रकरण ने राज्य में प्रशासनिक नैतिकता और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाए हैं। आलोचकों का कहना है कि एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा इस प्रकार से सरकारी संसाधनों का निजी लाभ के लिए उपयोग करना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में भी आता है। इससे जनता के बीच सरकारी अधिकारियों की विश्वसनीयता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अन्य अधिकारियों के लिए भी गलत संदेश देगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने श्रीकांत बाल्दी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की विस्तृत जांच करने की मांग की है, ताकि दोषियों को उचित सजा मिल सके।
इस घटना ने हिमाचल प्रदेश में सेब उद्योग से जुड़े अन्य विवादों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। हाल ही में, अडानी समूह पर सेब की कीमतों में कमी करने का आरोप लगा था, जिससे राज्य के सेब उत्पादक निराश थे।
अडानी समूह ने ए-ग्रेड सेब की कीमत 72 रुपये प्रति किलो तय की थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम थी। इससे सेब उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ और उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की।
इसके अतिरिक्त, राज्य के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने सेब व्यापार में धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि सेब व्यापार में लिप्त धोखाधड़ी करने वालों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे और राज्य सरकार सेब व्यापार से जुड़े सभी हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
इन सभी घटनाओं ने हिमाचल प्रदेश में सेब उद्योग और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जनता और सेब उत्पादकों की मांग है कि सरकार इन मामलों की निष्पक्ष जांच करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में ऐसे घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और प्रशासनिक ईमानदारी बनी रहे।
सोशल मीडिया में श्रीकांत बाल्दी इन दिनों खूब चर्चा में हैं और लोग अब खुलकर लिख रहे हैं हो भी क्यों न जब वीरभद्र सिंह और जयराम दोनों सरकारों के मुख्यमंत्री को एक ही योजना चिपकाकर करोड़ों लुटा दिया इन्वेस्टर मीट के नाम पर तो फिर लोग तो बोलेंगे ही न।
अब देखना होगा व्यवस्था परिवर्तन की सुक्खू सरकार इस भ्रष्टाचार में क्या इस ब्लू आई बॉय पर कार्रवाई करती है या फिर फाइल दफन हो जाएगी।