एप्पल न्यूज, ब्यूरो
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी रही, और कई दिनों तक चले गतिरोध के बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने गुरुवार, 13 फरवरी 2025 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की।
केंद्र सरकार ने इस सिफारिश को स्वीकार कर लिया, और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करने का आदेश जारी किया।
इस आदेश के साथ, मणिपुर की विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है और राज्य के प्रशासनिक कार्य अब राष्ट्रपति के अधीन आ गए हैं।

2. गृह मंत्रालय की अधिसूचना
भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि –
“राष्ट्रपति को यह विश्वास हो गया है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है।”
इस आधार पर, राज्यपाल अजय भल्ला की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने मणिपुर में केंद्र शासन लागू कर दिया। इसका मतलब यह है कि अब राज्य के प्रशासन का पूरा नियंत्रण केंद्र सरकार और राज्यपाल के पास रहेगा।
3. मणिपुर में अशांति की पृष्ठभूमि
मणिपुर में पिछले दो वर्षों से जातीय हिंसा जारी थी, जो मुख्य रूप से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष के कारण उत्पन्न हुई।
- मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी लगभग 53% है, जो मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहती है।
- कुकी समुदाय एक आदिवासी समूह है, जो राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसता है।
- यह संघर्ष मई 2023 में भड़का, जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के फैसले के खिलाफ कुकी समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया।
- इसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई और हजारों लोग विस्थापित हुए।
इस हिंसा के दौरान बीरेन सिंह की सरकार पर आरोप लगाया गया कि वह मैतेई समुदाय का पक्ष ले रही है और कुकी समुदाय को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे रही है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की।
4. बीरेन सिंह पर आरोप और इस्तीफा
- मुख्यमंत्री बीरेन सिंह, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हैं, लगातार हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहे।
- उन पर आरोप था कि उन्होंने कुकी समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।
- केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व ने भी स्थिति को शांत करने के लिए नए नेतृत्व की संभावना पर विचार किया।
- अंततः, 9 फरवरी 2025 को बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
5. भाजपा प्रतिनिधिमंडल की भूमिका
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की।
- यह मुलाकात मणिपुर में नई सरकार के गठन पर चर्चा के लिए थी।
- हालांकि, भाजपा किसी नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नहीं बना सकी, जिससे राजनीतिक संकट और गहरा गया।
- इस गतिरोध के चलते राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की।
6. राष्ट्रपति शासन के प्रभाव
- मणिपुर की संपूर्ण प्रशासनिक शक्तियाँ अब केंद्र सरकार के अधीन आ गई हैं।
- राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं होगी, और राज्यपाल अजय भल्ला राज्य का प्रशासन चलाएंगे।
- विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।
- कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार मणिपुर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती कर सकती है।
7. आगे की संभावनाएँ
- भाजपा को मणिपुर में नई सरकार बनाने के लिए नए मुख्यमंत्री का चयन करना होगा।
- यदि भाजपा इसमें सफल नहीं होती, तो राज्य में जल्द ही चुनाव कराए जा सकते हैं।
- स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए विशेष उपाय कर सकती है।
मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा, और राजनीतिक गतिरोध के कारण राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
अब राज्य का प्रशासन केंद्र सरकार और राज्यपाल के अधीन होगा। इस घटनाक्रम का भविष्य राजनीतिक दलों की रणनीतियों और केंद्र सरकार के फैसलों पर निर्भर करेगा।