एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से नियंत्रण में है और सरकार अपराधों पर लगाम लगाने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
उन्होंने बताया कि इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत के मामले में सरकार ने 15 दिनों के भीतर उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं, भाजपा इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है, जिस पर मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा जांच एजेंसियों का राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है।

कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि उनकी सरकार के कार्यकाल में एफआईआर की संख्या में 5% की कमी आई है और अपराधों पर लगाम लगाने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि नशे के खिलाफ भी सरकार ने सख्त अभियान छेड़ रखा है, जिसके तहत पुलिस ने बीते दो वर्षों में ड्रग तस्करों की 25.42 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।
इसके अलावा, अवैध खनन रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर कमेटियां गठित करने और माइनिंग की मैपिंग करने की भी योजना बनाई जा रही है।
हालांकि, विपक्ष ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को पूरी तरह से विफल करार दिया है। विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया कि हिमाचल में पहली बार गैंगवार की घटनाएं हो रही हैं और सरकार इन पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रही है।
भाजपा नेताओं ने बिलासपुर में हुए गोलीकांड को गैंगवार बताते हुए पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
कुछ विधायकों ने योगी सरकार की तरह अपराधियों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की वकालत की, जबकि अन्य ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और विशेष पुलिस अधिकारियों (SPO) की मदद लेने का सुझाव दिया।
विपक्ष के आक्रामक तेवरों को देखते हुए सदन में हंगामा हुआ और अंततः भाजपा विधायकों ने वॉकआउट कर दिया।
कुल मिलाकर, हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जहां सरकार अपनी सफलता के दावे कर रही है, जबकि विपक्ष इसे पूरी तरह से विफल बता रहा है।
ऐसे में, जनता को निष्पक्ष जांच और सख्त कानून-व्यवस्था के उपायों की प्रतीक्षा है ताकि प्रदेश में शांति और सुरक्षा बनी रहे।