एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने 26 मार्च 2025 को ₹58,514 करोड़ के बजट को ध्वनिमत से पारित कर दिया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विनियोग विधेयक 2025 पेश किया, जिसे सदन ने दोपहर 3:28 बजे मंजूरी दी। इस विधेयक के पारित होने के बाद, सरकार राज्य की संचित निधि से इस बजट राशि को खर्च कर सकेगी।
मुख्यमंत्री ने 17 मार्च 2025 को यह बजट पेश किया था, जिसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि और सामाजिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। खास बात यह है कि इस बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया, जिससे जनता को कोई अतिरिक्त कर भार नहीं उठाना पड़ेगा। बजट में युवाओं, किसानों, महिलाओं, सरकारी कर्मचारियों और वृद्धजनों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं।

बजट का वर्गीकरण और प्रमुख खर्च
इस बजट में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में खर्च को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है:
- विकास कार्यों के लिए – 24% राशि रखी गई है, जिससे राज्य में आधारभूत ढांचे और अन्य विकास परियोजनाओं को गति मिलेगी।
- कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन, भत्तों व पेंशन पर – 45% बजट खर्च होगा, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा।
- राज्य सरकार द्वारा लिए गए कर्ज के ब्याज भुगतान पर – 12% बजट खर्च होगा।
- सरकारी कर्ज की अदायगी के लिए – 10% राशि आवंटित की गई है।
- स्वायत्त संस्थानों को अनुदान पर – 9% राशि खर्च की जाएगी।
बजट अनुमान के अनुसार, राज्य सरकार की कुल राजस्व प्राप्ति ₹42,343 करोड़ होगी, जबकि राजस्व व्यय ₹48,733 करोड़ रहने का अनुमान है। इससे 6390 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होगा। इसके अलावा, पूंजीगत घाटा भी ₹10,338 करोड़ अनुमानित है।
महत्वपूर्ण घोषणाएँ
इस बजट में कई नई योजनाओं की घोषणा की गई है, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
- रोजगार और कर्मचारियों के लिए सौगातें
- राज्य में 25,000 नई नौकरियाँ दी जाएंगी।
- सरकारी कर्मचारियों को 3% महंगाई भत्ता (DA) वृद्धि मिलेगी।
- आउटसोर्स कर्मचारियों को न्यूनतम ₹12,750 वेतन देने का प्रावधान किया गया है।
- न्यूनतम दिहाड़ी ₹425 तय की गई, जिससे मजदूरों की आय बढ़ेगी।
- मनरेगा मजदूरी ₹20 बढ़ाई गई, जिससे ग्रामीण श्रमिकों को लाभ होगा।
- वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनर्स के लिए राहत
- 70 से 75 वर्ष के पेंशनर्स को उनका बकाया एरियर दिया जाएगा।
समग्र दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पेश किया गया यह बजट कृषि, ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण और आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। कोई नया कर न लगाने का निर्णय आम जनता को राहत देगा, जबकि विकास कार्यों और कर्मचारियों की भलाई पर ध्यान केंद्रित करने से राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी। हालांकि, राजस्व घाटा और पूंजीगत घाटा चिंता का विषय हैं, लेकिन सरकार का मानना है कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन से इसे संतुलित किया जा सकता है।
इस बजट के जरिए सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह राज्य के आर्थिक विकास, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दे रही है, जिससे हिमाचल प्रदेश की जनता को व्यापक लाभ मिलेगा।