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हिमाचल के बजट में 4,000 करोड़ की वृद्धि, कई अहम घोषणाएं, सरकारी नौकरियों, बिजली बिलों पर सेस और औद्योगिक नीति को लेकर विपक्ष ने मांगा जवाब

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एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 62,387 करोड़ रुपये का बजट पारित कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 17 मार्च को विधानसभा में 58,514 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसे अब बढ़ाकर 62,387 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

इस बजट में विभिन्न क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं, साथ ही विपक्ष और सरकार के बीच कई मुद्दों पर तीखी बहस भी हुई।

बजट में वृद्धि और प्रमुख चर्चा

बजट को लगभग 4,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर पारित किया गया। इस पर चर्चा के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच कई मुद्दों को लेकर तीखी नोकझोंक हुई।

विपक्षी भाजपा ने करूणामूलक आधार पर सरकारी नौकरियों, बिजली बिलों पर सेस और औद्योगिक नीति को लेकर सरकार से जवाब मांगा।

विधानसभा में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि करूणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति 15 अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा।

करूणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी: विपक्ष का हंगामा

विपक्ष ने करूणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी देने में हो रही देरी का मुद्दा उठाया और सरकार से स्पष्ट समयसीमा की मांग की।

  • नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि सरकार 8-10 साल तक दस्तावेज मांगती रहती है, जिससे प्रभावित परिवारों को अत्यधिक परेशानी होती है।
  • उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने जवाब दिया कि 31 अक्टूबर 2024 तक कुल 1,839 मामले लंबित हैं।
  • सरकार ने भरोसा दिलाया कि जल्द ही नई नीति लागू की जाएगी, जिससे लंबित मामलों का शीघ्र समाधान होगा।

बिजली बिलों पर सेस लगाने का विरोध

प्रदेश में बिजली के बिलों पर दूध और पर्यावरण सेस लगाने के मुद्दे पर भी विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। भाजपा विधायकों ने कहा कि इससे व्यापारियों और आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

  • सरकार ने स्पष्ट किया कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी कदम है।
  • नए सेस की दरें इस प्रकार हैं:
    • लघु उद्योग – 2 पैसे प्रति यूनिट
    • मध्यम उद्योग – 4 पैसे प्रति यूनिट
    • बड़े उद्योग – 10 पैसे प्रति यूनिट
    • स्टोन क्रशर और अस्थायी कनेक्शन – 2 रुपये प्रति यूनिट
    • इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन – 6 रुपये प्रति यूनिट

होटलों के बिजली बिलों में वृद्धि पर नाराजगी

मनाली समेत अन्य पर्यटन स्थलों के होटलों को जनवरी में बढ़े हुए बिजली बिल मिले, जिससे होटल मालिकों में रोष है।

  • सरकार का जवाब: उपभोक्ता अपनी शिकायत इलेक्ट्रिसिटी रिड्रेसल फोरम में दर्ज करा सकते हैं।

निजी बस ऑपरेटरों पर सख्ती

प्रदेश में रविवार को बसें नहीं चलाने वाले निजी बस ऑपरेटरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

  • उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यदि निजी बस ऑपरेटर छह दिन सेवा देते हैं, तो रविवार को भी बसें चलानी होंगी।
  • सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि रविवार को बसें न चलने से यात्रियों को भारी परेशानी होती है।

औद्योगिक नीति और श्रमिक पंजीकरण में बदलाव

सरकार ने श्रमिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब कामगारों का पंजीकरण यूनियनों के माध्यम से नहीं होगा।

  • उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि कुछ यूनियनें श्रमिकों के फर्जी पंजीकरण में लिप्त थीं।
  • अब श्रमिकों का पंजीकरण सरकारी विभागों के माध्यम से होगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में सुधार

  • आनी विधानसभा क्षेत्र में 67.31 लाख रुपये की लागत से नया प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बनाया जाएगा।
  • चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र में तीन नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं।
  • सरकार ने फोरलेन निर्माण में स्थानीय लोगों की अनदेखी को लेकर हाईकोर्ट जाने का संकेत दिया है।

विधानसभा परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर विवाद

  • भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने पूर्व विधायक बंबर ठाकुर द्वारा विधानसभा परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का मुद्दा उठाया।
  • विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने निर्देश दिए कि अब केवल मंत्री और विधायक ही प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं।

नए विधेयक पेश किए गए

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में चार नए विधेयक पेश किए:

  1. हिमाचल प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक-2025
  2. हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध निवारण और नियंत्रण विधेयक-2025
  3. हिमाचल प्रदेश मादक पदार्थ और नियंत्रित पदार्थ नशामुक्ति और पुनर्वास विधेयक-2025
  4. भारतीय स्टांप (हिमाचल प्रदेश संशोधन) विधेयक-2025

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पारित यह बजट कई नई योजनाओं और विवादों के बीच पारित हुआ। करूणामूलक नौकरी, बिजली बिलों पर सेस, औद्योगिक नीति, श्रमिक पंजीकरण और निजी बस ऑपरेटरों की नीति जैसे मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार बहस हुई। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इन योजनाओं को जमीन पर कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर पाती है।

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