एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश में मंत्रियों और विधायकों के वेतन और भत्तों में 26% की बढ़ोतरी की गई है, जिससे इनका कुल मासिक वेतन और भत्ता 3.15 लाख रुपये तक पहुंच गया है।
इस प्रस्ताव को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पारित किया गया, जिसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों के विधायकों ने समर्थन किया।
हालांकि, सरकार ने कुछ भत्ते समाप्त भी किए हैं, जिससे उन्हें कुछ वित्तीय झटका भी लगा है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

1. विधायकों की सैलरी में बढ़ोतरी
- मूल वेतन: 55,000 रुपये से बढ़ाकर 70,000 रुपये कर दिया गया।
- निर्वाचन क्षेत्र भत्ता: 90,000 रुपये से बढ़ाकर 1.20 लाख रुपये कर दिया गया।
- कार्यालय भत्ता: 30,000 रुपये से बढ़ाकर 90,000 रुपये किया गया।
- कुल मासिक वेतन और भत्ता: पहले 2.10 लाख रुपये था, जो अब बढ़कर 3.15 लाख रुपये हो गया है।
2. मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधानसभा पदाधिकारियों का वेतन
- मुख्यमंत्री:
- पहले वेतन 95,000 रुपये था, अब बढ़कर 1.15 लाख रुपये हो गया।
- कैबिनेट मंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष:
- पहले वेतन 80,000 रुपये था, अब बढ़कर 95,000 रुपये हो गया।
- विधानसभा उपाध्यक्ष:
- पहले वेतन 75,000 रुपये था, अब बढ़कर 92,000 रुपये हो गया।
3. कौन-कौन से भत्ते खत्म किए गए?
सरकार ने विधायकों और पूर्व विधायकों को दिए जाने वाले कुछ भत्तों को समाप्त कर दिया है, जिससे उनकी अतिरिक्त सुविधाओं में कटौती हुई है।
- टेलीफोन भत्ता: पहले विधायकों को 15,000 रुपये प्रतिमाह मिलता था, जिसे समाप्त कर दिया गया।
- बिजली और पानी का भत्ता: पहले विधायकों को बिजली और पानी के बिल की प्रतिपूर्ति मिलती थी, जिसे खत्म कर दिया गया।
- पूर्व विधायकों का टेलीफोन भत्ता भी समाप्त किया गया।
4. वेतन वृद्धि का नया नियम (प्राइस इंडेक्स के अनुसार)
- अब विधायकों का वेतन हर पांच साल में स्वतः बढ़ेगा।
- वृद्धि प्राइस इंडेक्स के आधार पर की जाएगी।
- अगली वेतन वृद्धि 1 अप्रैल 2030 से प्रभावी होगी।
5. सरकार का तर्क
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कहा कि वर्तमान में विधायकों को 2.10 लाख रुपये प्रति माह मिलते थे, लेकिन बिजली-पानी के बिल और इनकम टैक्स कटने के बाद उन्हें सिर्फ 1.60 लाख रुपये मिल रहे थे। इसलिए, उनकी वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह वृद्धि की गई है।
6. विपक्ष और समर्थन
- कांग्रेस और भाजपा दोनों के विधायकों ने इस बिल का समर्थन किया।
- लंबी चर्चा के बाद विधायकों की सैलरी और भत्तों से संबंधित तीन बिल पास किए गए।
7. बढ़ोतरी से राज्य पर आर्थिक भार
हिमाचल प्रदेश वर्तमान में आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस स्थिति में विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाने के इस फैसले की आलोचना भी हो रही है। हालांकि, सरकार ने तर्क दिया कि भत्तों में कटौती कर कुछ हद तक संतुलन बनाया गया है।
वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी के बाद हिमाचल प्रदेश के विधायकों की आय में 1 लाख रुपये से ज्यादा की वृद्धि हुई है, लेकिन कुछ भत्तों को खत्म कर दिया गया है।
इस फैसले के बाद विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं में कुछ बदलाव आए हैं, और वेतन में हर 5 साल में स्वतः बढ़ोतरी का प्रावधान भी कर दिया गया है।