एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश में प्रशासनिक गतिविधियों को गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के शिमला लौटते ही 5 अप्रैल 2025 को प्रदेश मंत्रिमंडल की पहली बैठक बुलाई गई है। यह बैठक दोपहर 2 से 3 बजे के बीच सचिवालय में आयोजित होगी।
इस बैठक में बजट घोषणाओं, तबादला नीति और करूणामूलक नियुक्तियों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसले लिए जाने की संभावना है।
मुख्यमंत्री की व्यस्त राजनीतिक भूमिका
मुख्यमंत्री सुक्खू वर्तमान में केरल में हैं, जहां कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें विशेष पर्यवेक्षक (Special Observer) के तौर पर भेजा है।
उन्होंने कोच्चि में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की, और अब वे अपनी रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे।
बताया जा रहा है कि शुक्रवार को वे दिल्ली पहुंचेंगे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे, जिसमें कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल से एक और बैठक की संभावना है।

इसके बाद वे शनिवार सुबह शिमला लौटेंगे और उसी दिन दोपहर बाद कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
बैठक में इन मुद्दों पर हो सकता है निर्णय:
- बजट घोषणाओं पर अमल:
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में कई अहम घोषणाएं की थीं, जिनमें से कई 1 अप्रैल से लागू होनी हैं। - अब इन्हें औपचारिक मंजूरी देने और कार्यान्वयन की दिशा तय करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक है। इसमें नई योजनाएं, अनुदान, विकास कार्य, और कल्याणकारी कार्यक्रमों का रोडमैप तय किया जाएगा।
- सामान्य तबादलों पर प्रतिबंध हटाने की संभावना:
कर्मचारियों के सामान्य तबादलों पर कुछ समय से प्रतिबंध लगा हुआ है। सरकार द्वारा पहले ही इस पर संकेत दिए जा चुके हैं कि प्रतिबंध हटाया जा सकता है। - यदि कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला होता है, तो सामान्य तबादलों का रास्ता साफ हो जाएगा और मंत्री स्तर पर यह प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।
- करुणामूलक नियुक्तियों पर निर्णय:
मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को मिलने वाली करुणामूलक नौकरियों पर भी निर्णय लिया जा सकता है। - यह मुद्दा लंबे समय से लंबित है और इससे कई परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद है। कर्मचारी संगठन और प्रभावित परिवार इस निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अहम बैठक
यह बैठक सिर्फ बजट कार्यान्वयन की शुरुआत नहीं, बल्कि प्रशासनिक मशीनरी को नए सिरे से सक्रिय करने का भी संकेत मानी जा रही है।
एक ओर जहां यह मुख्यमंत्री की राजनीतिक सक्रियता को दिखाती है, वहीं दूसरी ओर इससे यह भी जाहिर होता है कि राज्य सरकार अब फील्ड लेवल पर कामकाज को तेज़ी से आगे बढ़ाना चाहती है।