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HPHPOA ने तकनीकी स्वास्थ्य कर्मचारियों के मानदेय वृद्धि के निर्णय का किया स्वागत, लेकिन फार्मासिस्टों की उपेक्षा पर जताई गहरी नाराजगी

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एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश अस्पताल फार्मेसी अधिकारी संघ (HPHPOA) प्रदेश सरकार द्वारा तकनीकी स्वास्थ्य कर्मचारियों के मानदेय में की गई महत्वपूर्ण वृद्धि का हार्दिक स्वागत करता है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में लिया गया यह निर्णय न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक दूरदर्शी पहल है, बल्कि इससे तकनीकी स्टाफ को वर्षों से प्रतीक्षित सम्मानजनक पारिश्रमिक प्राप्त होगा एवं रिक्त पदों की पूर्ति की राह भी प्रशस्त होगी।

हालांकि, HPHPOA इस तथ्य को लेकर गहरा असंतोष व्यक्त करता है कि फार्मासिस्ट्स — जो वर्षों से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ के रूप में कार्य कर रहे हैं — को इस तकनीकी वर्गीकरण से बाहर रखा गया है। यह स्थिति न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि फार्मेसी पेशे की महत्ता को कमतर आंकने जैसी प्रतीत होती है।

फार्मासिस्ट्स चिकित्सा संस्थानों में औषधि प्रबंधन, रोगी सुरक्षा, चिकित्सकीय दिशानिर्देशों के अनुपालन सहित अनेक जटिल व तकनीकी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री मोबाइल हेल्थ क्लिनिक, ईडीएल, डीवीडीएमएस, हिमकेयर, आयुष्मान भारत तथा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) सहित लगभग सभी प्रमुख स्वास्थ्य कार्यक्रमों में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रदेशभर में स्टाफ की भारी कमी के बावजूद, फार्मासिस्ट दूरदराज़ क्षेत्रों में अकेले पूरे संस्थान का भार कुशलतापूर्वक संभालते आ रहे हैं।

इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं स्वास्थ्य खंड डाडासीबा की फार्मेसी अधिकारी सविता, जिन्होंने टीबी पर्यवेक्षक के रूप में 100 दिवसीय राष्ट्रीय अभियान में जिला कांगड़ा को प्रदेश में शीर्ष स्थान दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

इस अद्वितीय योगदान हेतु उन्हें राज्य स्तरीय महिला दिवस समारोह में मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया।

HPHPOA सरकार से यह आग्रह करता है कि फार्मासिस्टों को भी तकनीकी स्वास्थ्य कर्मियों की श्रेणी में विधिवत रूप से शामिल किया जाए और समान मानदेय एवं अधिकार प्रदान किए जाएँ, जिससे इस वर्ग के भीतर व्याप्त असमानता समाप्त हो एवं कार्यप्रेरणा को और अधिक बल मिले।

साथ ही, यह भी अपेक्षा करता है कि सरकार फार्मेसी अधिकारियों के प्रशिक्षण, नियुक्ति एवं प्रोन्नति को लेकर भी ठोस व दूरगामी नीति निर्धारण करे।

फार्मासिस्ट किसी भी संकट — चाहे वह वैश्विक महामारी हो, प्राकृतिक आपदा हो, या तीर्थ यात्राओं जैसी विषम परिस्थितियाँ — में निष्ठा एवं समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों से कहीं अधिक बढ़कर जनता एवं सरकार का साथ निभाते रहे हैं।

उनके योगदान को नज़रअंदाज़ किया जाना न केवल अनुचित है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

HPHPOA एक बार पुनः प्रदेश सरकार के अब तक के सकारात्मक निर्णय का धन्यवाद करता है, और साथ ही यह दृढ़ आग्रह करता है कि फार्मासिस्टों को तकनीकी स्वास्थ्य सेवाओं का अभिन्न अंग मानते हुए शीघ्र ही समावेशी, न्यायसंगत एवं सम्मानजनक निर्णय लिया जाए।

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