एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में सोमवार को आयोजित एक सादे परंतु गरिमामय समारोह में जिया लाल भारद्वाज और रोमेश वर्मा ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य न्यायाधीश जी. एस. संधावालिया ने दोनों न्यायाधीशों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इस अवसर पर उच्च न्यायालय के कई माननीय न्यायाधीश — न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दूआ, न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य, न्यायमूर्ति सुशील कुक्रेजा, न्यायमूर्ति विरेंद्र सिंह, न्यायमूर्ति रंजन शर्मा और न्यायमूर्ति राकेश काईंथला उपस्थित रहे।

समारोह की कार्यवाही रजिस्ट्रार जनरल भूषण शर्मा ने संचालित की। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी नियुक्ति वारंट को पढ़कर सुनाया, जिसके तहत जिया लाल भारद्वाज और रोमेश वर्मा को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज, जिनका जन्म 20 अगस्त 1969 को हुआ, ने वर्ष 1994 में वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गोयल (पूर्व न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय) के चेंबर में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की।
न्यायमूर्ति रोमेश वर्मा, जिनका जन्म 7 मई 1974 को हुआ, ने वर्ष 1999 में अपने पिता वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम दास वर्मा के मार्गदर्शन में विधिक अभ्यास प्रारंभ किया। दोनों लंबे समय से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं और विधि के विभिन्न क्षेत्रों में निपुणता रखते हैं।

इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता (पूर्व न्यायाधीश, भारत के सर्वोच्च न्यायालय) सहित हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश — न्यायमूर्ति ए. के. गोयल, न्यायमूर्ति के. सी. सूद, न्यायमूर्ति सुरिंदर सिंह, न्यायमूर्ति वी. के. शर्मा, न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति चंदर भूषण बारोवालिया (लोकायुक्त, हिमाचल प्रदेश) भी उपस्थित रहे।
समारोह में महाधिवक्ता अनुप रत्तन, बार काउंसिल ऑफ हिमाचल प्रदेश के चेयरमैन लवनीश कंवर, बार एसोसिएशन (हाई कोर्ट) के अध्यक्ष हमेंद्र सिंह चंडेल, भारत सरकार के उप सॉलिसिटर जनरल बलराम शर्मा, नव-नियुक्त न्यायाधीशों के परिजन, उच्च न्यायालय रजिस्ट्री के अधिकारी, बार एसोसिएशन के सदस्य एवं न्यायालय कर्मचारी उपस्थित रहे।
यह अवसर हिमाचल प्रदेश न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित हुआ, जिसमें दो अनुभवी और प्रखर विधि विशेषज्ञों ने न्यायिक सेवा की नई जिम्मेदारी संभाली।







