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कुल्लू के नग्गर में 18 साल बाद होगी “देव संसद”, माता हिडिम्बा ने दिए आदेश, कहा- “मनुष्य हठधर्मी छोड़ दे, समय अच्छा नहीं दिख रहा”

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एप्पल न्यूज, कुल्लू
कुल्लू दशहरा उत्सव के दौरान माता हिडिम्बा देवी ने भविष्य में अनिष्ट की आशंका जताते हुए देव संसद बुलाने का आदेश दिया था। माता के आदेश पर अब 31 अक्तूबर को नग्गर स्थित जगती पट के पास 18 वर्षों के बाद बड़ी जगती (देव संसद) का आयोजन किया जाएगा।

इस अद्भुत आयोजन में 300 से अधिक देवी-देवताओं के देवालयों से देव घंटी, धड़छ और निशान लेकर देवलू नग्गर पहुंचेंगे।

देवी-देवता कारदार संघ कुल्लू के अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने बताया कि यह बड़ी जगती माता हिडिम्बा के आदेशानुसार बुलाई जा रही है। माता ने स्पष्ट कहा है कि “मनुष्य हठधर्मी छोड़ दे, आने वाला समय अच्छा नहीं दिख रहा है।” इसलिए मानव जाति पर संभावित विपत्ति को टालने के लिए देव संसद का आयोजन किया जा रहा है।

देव संसद में रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह और कारदार दानवेंद्र सिंह सभी देवी-देवताओं के समक्ष प्रार्थना करेंगे कि आने वाली विपत्तियों को टालने का उपाय बताया जाए। इस आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं और देवलुओं की उपस्थिति रहने की संभावना है।


18 साल बाद होगी “बड़ी जगती”

कुल्लू में आखिरी बार बड़ी देव संसद वर्ष 2007 में हिमालयन स्की विलेज प्रोजेक्ट को लेकर हुई थी। तब देवताओं ने सामूहिक निर्णय लिया था कि यह परियोजना देव भूमि में नहीं लगाई जानी चाहिए।

देव निर्णय के बाद कंपनी को अपना प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा था। इस बार की बड़ी जगती 18 वर्षों के बाद हो रही है, जिससे लोगों में गहरी धार्मिक आस्था और उत्सुकता है।


पिछले वर्षों की घटनाएं

करीब पांच वर्ष पहले ढालपुर में दशहरा उत्सव के दौरान देवता नाग धुंबल के स्थान को अपवित्र किया गया था। तब प्रशासन को देवता से माफी मांगनी पड़ी थी।

इसके बाद सुल्तानपुर में जगती हुई और बिजली महादेव की अगुवाई में कुश्टु काहिका आयोजन के जरिये ढालपुर मैदान की शुद्धि की गई थी।


राज परिवार का आमंत्रण

कुल्लू राज परिवार की ओर से सभी देवी-देवताओं को देव संसद में आने के लिए औपचारिक आमंत्रण भेजा जाएगा। परंपरा के अनुसार, राज परिवार इस आयोजन में देवताओं के आदेशों का पालन और देव परंपरा के संरक्षण का वचन दोहराएगा।


आस्था और संदेश

कुल्लू की यह बड़ी जगती केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि देव संस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। माता हिडिम्बा का संदेश “मनुष्य हठधर्मी छोड़ दे” वर्तमान समय में प्रकृति, समाज और आध्यात्मिकता के संतुलन को बनाए रखने की गंभीर चेतावनी मानी जा रही है।

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