IMG-20251108-WA0021
previous arrow
next arrow

“ध्वनि प्रदूषण”- दीवाली पर हिमाचल में पटाखों का शोर, चंबा, रामपुर बुशहर और कुल्लू रहे सर्वाधिक प्रभावित

IMG-20251110-WA0015
previous arrow
next arrow

एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (H.P. State Pollution Control Board) ने सोमवार को दीवाली उत्सव 2025 के दौरान राज्य भर में दर्ज किए गए पर्यावरणीय ध्वनि स्तर (Ambient Noise Level) के आंकड़े जारी किए। रिपोर्ट में सामने आया है कि दीवाली के दिन शोर प्रदूषण का स्तर अधिकतर शहरों में सामान्य सीमा से ऊपर रहा। कुछ जिलों में तो यह स्तर अनुमेय सीमा को काफी हद तक पार कर गया।

बोर्ड ने यह ध्वनि निगरानी 13 अक्तूबर 2025 (दीवाली से पहले) और 20 अक्तूबर 2025 (दीवाली के दिन) को शाम 6 बजे से रात 12 बजे तक की अवधि में की थी। इसका उद्देश्य यह आकलन करना था कि पटाखों के उपयोग और त्योहारों की भीड़-भाड़ से राज्य में शोर प्रदूषण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।

दीवाली के दिन बढ़ा शोर, कई जगह पार हुई सीमा

रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल के अधिकांश शहरों में दीवाली के दिन ध्वनि स्तर में 10 से 25 डेसिबल तक की वृद्धि दर्ज की गई। विशेष रूप से चंबा, रामपुर बुशहर, ऊना और कुल्लू में शोर प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से अधिक रहा।

चंबा टाउन में जहां दीवाली से पहले शोर का स्तर 56.8 dB(A) था, वहीं त्योहार की रात यह बढ़कर 78.1 dB(A) तक पहुंच गया।

रामपुर बुशहर में यह स्तर 55.4 dB(A) से बढ़कर 77.3 dB(A) हुआ।

ऊना जिले के रक्कड़ कॉलोनी क्षेत्र में भी 43.7 dB(A) से बढ़कर 73.9 dB(A) का स्तर दर्ज किया गया।

कुल्लू के ढालपुर क्षेत्र में यह स्तर 60.4 dB(A) से बढ़कर 74.9 dB(A) पहुंचा।

इन सभी क्षेत्रों में शोर का स्तर अपने निर्धारित मानकों से अधिक रहा, जिससे यह स्पष्ट है कि पटाखों और वाहनों के कारण शोर प्रदूषण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की स्थिति

राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी दीवाली के दिन शोर प्रदूषण बढ़ा, हालांकि कुछ जगहों पर यह सीमा के भीतर रहा।

शिमला रिज (Commercial Zone) में दीवाली से पहले 64.4 dB(A) और दीवाली के दिन 64.9 dB(A) का स्तर दर्ज हुआ — जो व्यावसायिक क्षेत्र की सीमा (65 dB) के भीतर है।

परवाणू में शोर का स्तर 53.6 dB(A) से बढ़कर 62.1 dB(A) हुआ।

हमीरपुर और धर्मशाला जैसे क्षेत्रों में हल्की वृद्धि देखी गई, लेकिन शोर स्तर अपेक्षाकृत नियंत्रित रहा।

मानक सीमा (Noise Standards Limit – Day Time)

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत निर्धारित मानकों के अनुसार:

मौन क्षेत्र (Silence Zone): 50 dB(A)

आवासीय क्षेत्र (Residential Zone): 55 dB(A)

व्यावसायिक क्षेत्र (Commercial Zone): 65 dB(A)

औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Zone): 75 dB(A)

रिपोर्ट में दर्ज अधिकांश रिहायशी क्षेत्रों का शोर स्तर 60 dB(A) से अधिक पाया गया, जो स्वीकृत सीमा से ऊपर है। यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और हृदय या तंत्रिका संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों पर।

शोर प्रदूषण के खतरे

विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार उच्च ध्वनि स्तर का संपर्क मानसिक तनाव, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन, सुनने की क्षमता में कमी और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है।
दीवाली जैसे पर्वों पर अस्थायी रूप से शोर का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं रखा गया, तो आने वाले वर्षों में यह एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती बन सकता है।

🔹 बोर्ड की अपील: “पटाखों का सीमित प्रयोग करें”

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. प्रवीन चंदर गुप्ता ने बताया कि “दीवाली जैसे पर्व खुशियों का प्रतीक हैं, लेकिन इन्हें पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदारी के साथ मनाना आवश्यक है।

इस बार अधिकांश क्षेत्रों में शोर प्रदूषण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। लोगों से अपील है कि भविष्य में पर्यावरण अनुकूल ‘ग्रीन क्रैकर्स’ का उपयोग करें और अनावश्यक पटाखेबाज़ी से बचें।”

उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड समय-समय पर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा ताकि नागरिकों में ‘Lifestyle for Environment (LiFE)’ की भावना को बढ़ावा दिया जा सके।

स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश

रिपोर्ट जारी होने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि त्योहारों, शादियों और अन्य आयोजनों में शोर नियंत्रण मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
नगर परिषदों और पुलिस प्रशासन को भी पटाखों की बिक्री, सार्वजनिक ध्वनि उपकरणों और लाउडस्पीकरों के उपयोग पर निगरानी रखने के लिए कहा गया है।

जनता की भूमिका महत्वपूर्ण

बोर्ड ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण में जन-सहयोग सबसे अहम है। यदि नागरिक स्वयं जिम्मेदारी से त्योहार मनाएं, तो शोर प्रदूषण को आसानी से कम किया जा सकता है।
विशेषकर बच्चों को प्रारंभ से ही “कम पटाखे, अधिक खुशियाँ” जैसी सोच के साथ जागरूक करना आवश्यक है।

हिमाचल प्रदेश की यह रिपोर्ट बताती है कि दीवाली पर शोर प्रदूषण का स्तर अब चिंता का विषय बन गया है। हालांकि प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसकी निगरानी में सक्रिय हैं, लेकिन स्थायी समाधान केवल नागरिकों की जागरूकता से ही संभव है।
“पर्यावरण की रक्षा केवल कानून से नहीं, बल्कि हमारी संवेदनशीलता से संभव है” — इस संदेश को आत्मसात करते हुए यदि हम त्योहारों को प्रकृति के प्रति सम्मान के साथ मनाएं, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, शांत और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सकता है।

Share from A4appleNews:

Next Post

हिमाचल मंत्रिमंडल की बैठक 25 अक्तूबर को शिमला में

Tue Oct 21 , 2025
एप्पल न्यूज, शिमलाहिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की अगली बैठक 25 अक्तूबर को दोपहर 12 बजे राज्य सचिवालय, शिमला में आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में होने वाली यह बैठक कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और नीतिगत निर्णयों के लिए अहम मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, बैठक […]

You May Like

Breaking News