एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश में पेपर लीक और परीक्षा में धांधली पर अब सख्त कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने विधानसभा में पारित हिमाचल प्रदेश लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण अधिनियम, 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद यह कानून राज्य में लागू हो गया है।
यह अधिनियम लोक सेवा आयोग और राज्य चयन आयोग हमीरपुर द्वारा आयोजित परीक्षाओं पर लागू होगा तथा पेपर लीक और संगठित नकल को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति संगठित तरीके से नकल करवाता है या पेपर लीक में शामिल होता है तो उसे न्यूनतम पांच वर्ष और अधिकतम दस वर्ष तक की सजा दी जाएगी तथा एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि अन्य संलिप्त व्यक्तियों को तीन से पांच वर्ष की सजा और दस लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है।
दोषी सेवा प्रदाता या परीक्षा संचालित करने वाली एजेंसी के मौन रहने या सहयोग न करने पर भी तीन से दस वर्ष की कैद और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना तय किया गया है।
ऐसे मामलों की जांच केवल डीएसपी स्तर के अधिकारी ही करेंगे और सरकार के पास किसी भी एजेंसी को जांच सौंपने की शक्ति होगी।
कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट आयोजित करने वाली कोई एजेंसी नकल में दोषी पाई जाती है तो उस पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, परीक्षा संचालन का पूरा खर्च वसूला जाएगा और उसे चार वर्ष तक किसी भी परीक्षा आयोजन से प्रतिबंधित किया जाएगा।
जबकि सेवा प्रदाता कंपनी के निदेशक या कर्मचारियों को दोष सिद्ध होने पर तीन से दस वर्ष तक की कैद हो सकती है।
सरकार का मानना है कि इस कड़े कानून से हिमाचल में बार-बार उजागर हो रहे पेपर लीक रैकेट और परीक्षा धोखाधड़ी पर निर्णायक रोक लगेगी।






