एप्पल न्यूज़, शिमला
ऑल इंडिया रोड़ ट्रांसपोर्ट वर्करज फेडरेशन की हिमाचल प्रदेश इकाई के आह्वान पर आठ जनवरी को पूरे प्रदेश में सड़क परिवहन से जुड़े निजी व्यावसायिक वाहन संचालक, ड्राइवर व कंडक्टर हड़ताल पर जाएंगे। इस दौरान निजी वाहन नहीं चलेंगे व सड़कों पर उतरकर इस व्यवसाय से जुड़े लोग मोटर व्हीकल एक्ट में किये जा रहे संशोधनों का पूर्ण विरोध करेंगे। ऑल इंडिया रोड़ ट्रांसपोर्ट वर्करज फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष लेखराज वर्मा ने कहा है कि इस दिन हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों परवाणू, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, बघेरी, भागा बलग, बरमाणा, दाड़लाघाट, मैहतपुर, टाहलीवाल, गगरेट, नगरोटा, परौर, कालाअंब, पौंटा साहिब आदि में ट्रक, ट्रोला सहित सभी कमर्शियल व्हीकल खड़े रहेंगे व हज़ारों ट्रांसपोर्टर सड़कों पर उतरकर मोटर व्हीकल एक्ट में किये गए ट्रांसपोर्टर विरोधी संशोधनों का विरोध करेंगे। इसके अलावा प्रदेश में निजी टैक्सियां व बसें भी नहीं चलेंगी। उन्होंने मांग की है कि मोटर वाहन अधिनियम 2019 में विदेशी कम्पनियों को प्रवेश की अनुमति,भारी-भरकम जुर्माने व सजाओं के परिवहन विरोधी प्रावधानों को खत्म किया जाए। बढ़ी हुई थर्ड पार्टी बीमा राशि को वापिस लिया जाए। पेट्रोल व डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। गाड़ी की पासिंग पेनल्टी को खत्म किया जाए ट्रकों, टेम्पू, टैक्सी, बसों, ट्राला आदि के ड्राइवरों,कंडक्टरों व सभी ट्रांसपोर्ट कामगारों के लिए ट्रांसपोर्ट कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए। हिमाचल में पंजीकृत वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूलना बन्द किया जाए। कमर्शियल वाहनों से एंट्री टैक्स वसूलना बन्द किया जाए।
यूनियन के राज्य महासचिव विजय शर्मा ने कहा है कि केंद्र सरकार लगातार ट्रांसपोर्टर विरोधी निर्णय ले रही है। मोदी सरकार ने पहले भी सड़क सुरक्षा अधिनियम के रूप में सन 2015 में ट्रांसपोर्टरों पर हमला करने की कोशिश की थी परन्तु देश के ट्रांसपोर्टरों की एकता ने केंद्र सरकार को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। अब केंद्र सरकार पिछले दरवाजे से इस कार्य को करने में लगी हुई है व मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कर ट्रांसपोर्टरों पर हमला करना चाहती है। सरकार की मंशा है कि विदेशी बड़ी कम्पनियों के लिए देश के दरवाजे पूरी तरह खोले जाएं हालांकि इसकी शुरूआत ओला व उबर टैक्सियों के रूप में पहले ही हो चुकी है। बड़ी विदेशी ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के देश में आने से देश के पच्चासी प्रतिशत घरेलू कमर्शियल ट्रांसपोर्टर तबाह हो जाएंगे। इस से देश में कृषि क्षेत्र के बाद देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देनेे वाला ट्रांसपोर्ट सेक्टर पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। इस से करोड़ों लोगों का रोजगार भी खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में जो संशोधन किए हैं,उस से ट्रांसपोर्टरों पर दर्जनों तरह के बोझ पड़ेंगे व उन्हें अपना उद्योग धंधा चलाने में भारी परेशानी आएगी। एक तरफ केंद्र सरकार के इन संशोधनों से ट्रांसपोर्टर भारी परेशानी में हैं वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार का रवैया भी ट्रांसपोर्टर विरोधी है। राज्य सरकार भी एंट्री टैक्स आदि के नाम पर ट्रांसपोर्टरों का शोषण कर रही है।