एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल सरकार की सुरक्षा में तैनात सचिवालय सुरक्षा कर्मी कोरोना महामारी के बीच खुद ही असुरक्षित हैं। सुबह से शाम तक प्रदेश सरकार के सबसे बड़े सचिवालय में 4 दरवाजों पर प्रहरी बनकर हर आम व खास शख्स पर नजर रखने के साथ ही सुरक्षा जांच का जिम्मा सम्भाल रहे करीब 20 कर्मचारी इतने मायूस शायद हो पहले कभी हुए हों।
कोरोना संकट के बीच भी मुस्तैदी से सेवा में जुटे इन जवानों को 2 महीने में केवल एक बार मास्क और ग्लव्ज दिए गए हैं। इसके अलावा आज तक कभी इनकी सुध नहीं ली। कई बार प्रशासन को कहा लेकिन फाइल है कि चंद मीटर खिसकने में भी महीनों लगा रही है। हर शख्स के सीधे संपर्क में आने वाले इन कर्मचारियों को हमेशा ही खतरे की जद में रहना पड़ रहा है लेकिन बिना हथियार सेना नहीं लड़ सकती, ठीक वैसे ही बिना मास्क, सेनिटाइजर, ग्लब्स और सुरक्षा किट के बिना कोरोना से नहीं लड़ सकते।
बड़ा सवाल ये की दीपक तले ही अंधेरा क्यों जबकि सचिवालय में ही सेनेटाइजर के नाम पर लाखों का घोटाला भी सामने आ चुका है। करोड़ों के सुरक्षा उपकरण और किट्स सरकार द्वारा खरीदे जा चुके हैं तो फिर इन कर्मचारियों को खतरे में रखना कहाँ तक जायज है।
नम आंखों से कर्मचारियों ने कहा कि ड्यूटी के बाद जब घर जाते हैं तो बच्चों व परिवार के अन्य लोगों के करीब नहीं जा सकते। पहले बाहर पूरी यूनिफॉर्म उतारकर नहाने के बाद भीतर जा पाते हैं।
हमेशा डर लगा रहता है कि न जानें कौन संक्रमित व्यक्ति सम्पर्क में आया हो। सचिवालय में सुरक्षा उपकरण दिए नहीं जा रहे और अधिकारी उलटे उन्हें डांट फटकार लगाते हैं। यदि सरकार हमें नही दे सकती तो फिर साफ साफ कह दे हम खुद व्यवस्था करें। फाइलों में क्यों उलझ रहे हैं। करोड़ों रुपये तो लोग कोविड फंड में दे चुके हैं तो फिर हमारी सुरक्षा का क्या। जबकि हमें हर शख्स के सम्पर्क में आना पड़ता है, हम अपना फर्ज निभा रहे हैं सरकार भी ध्यान दे।