एप्पल न्यूज़, रोहड़ू
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने कोरोना लॉकडाउन के कारण प्रदेशभर के छात्रों को हो रही परेशानियों के संबंध में शनिवार को तहसीलदार रोहड़ू के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन सौंपा। कोरोना लॉकडाउन के कारण प्रदेश के कॉलेज व यूनिवर्सिटी के हज़ारों छात्र छात्राएं अपनी शिक्षा, समय और कैरियर को लेकर बहुत परेशान है।
छत्तर ठाकुर ने कहा कि कॉलेज के छठे सेमेस्टर के छात्रों का पिछले पांचवे सेमेस्टर का रिजल्ट अभी तक नहीं आया है और उनके छठे सेमेस्टर की परीक्षा भी कोरोना लॉकडाउन की वजह से समय पर नहीं हो पाई। ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा पोस्ट-ग्रेजुएशन में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा के फॉर्म पहले से ही निकाल दिए है।
ऐसे में छात्र बहुत ज्यादा मानसिक परेशानी और असमंजस की स्थिति में है कि प्रवेश परीक्षा के फॉर्म भरे की नहीं और ऊपर से ये परेशानी तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब इन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 30 मई भी दिन प्रतिदिन नज़दीक आ रही हो। छात्रों पर मानसिक दबाव तब और ज्यादा बढ़ जाता है जब विश्वविद्यालय द्वारा इस महामारी के दौर में छात्रों की बार बार मांग के बाद भी प्रवेश परीक्षा की फीस में कोई कमी नहीं की है।
छत्तर ठाकुर ने कोरोना संकट के कारण परेशान छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए NSUI के द्वारा चलाए गए राष्ट्रव्यापी अभियान Wave Fee Promote Students के बारे भी जानकारी दी और मुख्यमंत्री से मांग की कि कोरोना महामारी के संकट में लॉकडाउन के कारण छात्रों की पढ़ाई एवं परीक्षा बाधित हुई है और लॉकडाउन के कारण छात्रों के अभिभावकों की आय के संसाधन भी बहुत प्रभावित हुए है और भारी भरकम फीस के बोझ का भी टेंशन छात्रों पर है। कोरोना की वजह से अभी परीक्षा करवाना हज़ारों छात्रों की जान के साथ खिलवाड़ करना होगा और भविष्य में भी परीक्षाओं को सामान्य तौर पर करवाना अनिश्चित काल तक असंभव ही लग रहा है। ऐसे में NSUI ने छात्रों का साल बचाने व फीस माफ करवाने के लिए इंटरनेट की ऑनलाइन पेटिशन साइट change.org पर एक याचिका दायर कर एमएचआरडी और यूजीसी से कोरोना काल में छात्रों का साल बर्बाद होने से बचाने और कम से कम छह महीनों की फीस माफ करने की मांग की है।
हिमाचल प्रदेश के साथ देश के कई अन्य राज्यों के लगभग 87 हज़ार से भी अधिक छात्रों ने अभी तक इस याचिका का समर्थन किया है आगे और लाखों छात्रों का इस मुहिम से जुड़ने का दावा NSUI ने किया है। इस याचिका में छात्रों का साल बचाने के लिए प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों को पिछले परफॉर्मेन्स के आधार पर डायरेक्ट प्रमोट और अंतिम वर्ष के छात्रों को पिछले परफॉर्मेन्स में अतिरिक्त 10% बोनस अंको के साथ प्रमोट करने का सुझाव दिया गया है। NSUI द्वारा सोशल मीडिया में #WaveFeePromoteStudents नाम से एक हैशटैग भी ट्रेंड किया है।
छत्तर ठाकुर ने इस ज्ञापन के माध्यम से सरकार से ये भी मांग की कि जब तक कोरोना का संकट खत्म नहीं होता तब तक किराये के कमरों में रहने वाले छात्रों के रूम रेंट माफ करवाये जाएं।
छत्तर ठाकुर ने यह भी जानकारी दी कि इससे पूर्व प्रदेश के अलग अलग जिलों और शहरों में NSUI के छात्रों द्वारा वहां के स्थानीय प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को इन सभी समस्याओं और मांगो को लेकर पहले भी ज्ञापन सौंप चुके है लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया इस मामले में नहीं आई है।
गौरतलब है कि NSUI की इस मुहिम के साथ देश प्रदेश के छात्रों को सीधे तौर पर जुड़ता देख ABVP के छात्रों में बौखलाहट का माहौल है और वे सोशल मीडिया के माध्यम से इस अभियान को शिक्षा के खिलाफ बताते हुए इससे बेहतर छात्रों से साल ड्राप करने को कहते हुए देखे जा रहे है। NSUI अध्यक्ष छत्तर ठाकुर और विश्वविद्यालय इकाई के पूर्व अध्यक्ष वीनू मेहता ने ABVP के छात्रों को सीधे तौर पर नसीहत दी कि अगर वे ड्रॉप करना चाहते है तो शौक से ड्रॉप करें लेकिन जिन छात्रों ने ग्रेजुएशन के बाद अपने कैरियर को लेकर तैयारियां करनी है वे क्यों अपना साल बर्बाद करें और सरकार को छात्रों की परेशानी के बारे में सोचकर सकारात्मक तौर पर NSUI की मांग मानते हुए तुरंत प्रदेश के हज़ारों छात्रों को राहत दे देनी चाहिए।
इस मौके पर जिला शिमला के उपाध्यक्ष अंकित ठाकुर ने सरकार द्वारा निजी स्कूलों के छात्रों से ट्यूशन फीस को वसूलने संबंधी फैसले पर सरकार से मांग की है कि जब तक स्कूल खुल नहीं जाते तब तक सरकार के द्वारा ही निजी स्कूल के अध्यापकों की सैलरी प्रदान की जाए। हर चीज में नागरिकों से ही वसूली करनी है तो इस संकट की घड़ी में सरकार कौन सी जगह सरकारी कोष का उपयोग कर रही है।