कांग्रेस स्वास्थ्य विभाग के घोटाले की जांच के लिए हाई कोर्ट में दायर करेंगे याचिका
एप्पल न्यूज़, शिमला
कोरोना संकट काल मे स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले की जांच सिटिंग जज से करवाने को लेकर अब विपक्ष हाई कोर्ट में याचिका दायर करने जा रही है।
सोमवार को कांग्रेस के महासचिव ओर विधायक विक्रमादित्य सिंह ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास ही स्वास्थ्य विभाग है और विजिलेंस भी उन्हीं के अंडर काम करती है ऐसे में जांच निष्पक्ष होने पर सवाल खड़े हो रहे है। कांग्रेस इस मामले की जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज से करवाने की मांग कर रही है और राज्यपाल को भी इसको लेकर ज्ञापन सौंपा है।
लेकिन सरकार इस मामले की जांच विजिलेंस से ही करवाने की बात कर रही है और सरकार जल्द इस मामले की जांच सिटिंग जज से नही करवाती है तो कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष सहित सभी विधायक जल्द बैठक कर हाई कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला करेगा ओर कोर्ट से आग्रह किया जाएगा कि मुख्यमंत्री के विभाग में ही भ्रस्टाचार हुआ है ऐसे में जांच निष्पक्ष नही हो सकती है। मुख्यमंत्री जब तक पद पर बने हुए है ऐसे में जांच प्रभावित हो सकती है।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार के इस संकट काल मे भी भ्रष्टाचार पनप रहा है और देश मे हिमाचल शर्मसार हुआ है। इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष का इस्तीफा देकर लोगो की आखों में धूल झोंकने का काम किया गया जबकि ये बहुत बड़ा घोटाला है। आगामी दिनों में और भी घोटाले सामने आएंगे। बीजेपी नेताओं औऱ उनके रिश्तेदारों को टेंडर दिए जा रहे है। वही विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा ओर कहा को सीएम की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है।
बागवान लंबे समय से सेब की पेटियों ओर मजूदरो की व्यवस्था करने की मांग उठा रहे है। इसके लिए कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी मुख्यमंत्री से मिला था लेकिन कोई व्यवस्था नही की गई। सेब सीजन में जहा 2 करोड़ सेब पेटियां लगती है लेकिन अभी तक 50 लाख पेटियां की ही व्यवस्था की गई है।
सेब सीजन में मजदूरो की व्यवस्था तक नही है। वही कोविड से सबसे ज्यादा पर्यटन कारोबार प्रभावित हुआ है। प्रदेश में पर्यटक कारोबार से दो लाख लोग जुड़े है। लेकिन सरकार ने इस वर्ग को भी कोई राहत नही दी है।
हिमाचल कोविड फ्री होने वाला था और सरकार केंद्र से सर्टिफिकेट लेने की तैयारी कर रही थी लेकिन बाहर से आ रहे लोगो की सही टेस्टिंग न होने के चलते मामले हर रोज बढ़ रहे है। इस मामले में सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे है।