मात्र 18वर्ष की आयु में सशस्त्र सीमा बल में भर्ती हुए थे
ह्रदय गति रुकने की वजह से हुआ निधन
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, समूचा क्षेत्र गमगीन
एप्पल न्यूज़, राम गोपाल ननखड़ी
रामपुर उपमंडल के भडावली पंचायत के मतरवेल (कुमसू) गावं की शान 52वर्षीय नर्सिंग मेहता का बीते मंगलवार को ह्रदय गति रुकने के कारण निधन हो गया! नर्सिंग मेहता सशस्त्र सीमा बल 49वीं वाहिनी में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में बतौर ASI(GD) के पद पर तैनात थे! उनके इस आकस्मिक निधन की खबर सुनकर परिवार समेत समूचे क्षेत्र में शोक की लहर छा गयी हैं!

शुक्रवार सुबह 10:20बजे मतरेवल (कुमसू) गावं के एसएसबी जवान नर्सिंग मेहता का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर ज़ब उनके घर पहुंचा तो हर कोई नम हो गया! हर तरफ करूण रूदन सुनाई दे रहा था।साथ आए एसएसबी के जवानों ने परिजनों व ग्रामीणों के साथ पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किए।परिवार में बुजुर्ग माता,पत्नी,भाइयों,बेटों,बहनों का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था! अपने परिवार के सदस्य को खोकर इतने बड़े दुख से आंसू थम नहीं रहे थे। पार्थिव शरीर को देखकर सभी रह-रह कर उनकों पुकार रहे थे।
इसके बाद घर से उनकी अंतिम यात्रा निकली जिसमें परिजनों के साथ ग्रामीण,रिश्तेदार भी शामिल हुए।
जिसके बाद नोगली स्थित श्मशान घाट पर एसएसबी के जवान नरसिंह मेहता जी को उनके बेटों ने चिता को मुखाग्नि दी और SSB के जवानों ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ सलामी देकर व हवा में फायर कर अंतिम संस्कार किया गया।इस दौरान SSB के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा बेटे को राष्ट्रीय झंडा सपुर्द किया!साथ आए एसएसबी के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर अपने साथी को विदा किया!
नर्सिंग के छोटे भाई कैलाश मेहता जो खुद भी SSB में हैं ने बताया की अभी कुछ दिन पहले ही उनके भाई छुट्टी पर घर आये थे और 18तारीख को ड्यूटी पर जाने के लिए घर से रवाना हुए तो बीच सफऱ में अचानक तबीयत बिगड़ी जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहाँ पर चिकत्स्कों ने उन्हें मृत घोषित किया! सम्बंधित अधिकारी द्वारा उन्हें दूरभाष पर सूचित कर उनके बड़े भाई की निधन की खबर मिली! भाई के असमय निधन से पूरा परिवार गमगीन हैं।
उन्होंने बताया की उनके बड़े भाई 33वर्ष पहले मात्र 18वर्ष की आयु में एसएसबी में भर्ती हुए थे तथा देश के विभिन्न हिस्सों में उन्होंने ड्यूटी की!उन्होंने बताया कि पुरे परिवार को तीन भाइयो में सबसे बड़े भाई व परिवारिक सदस्य को खो जाने का असहनीय दुःख हैं जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता!तथा परिवार को उन पर गर्व भी हैं कि उन्होंने समर्पित भाव से लगभग 32वर्षों से अधिक सरहद पर रहकर देश की सेवा में अपना अतुलनीय योगदान दिया है!