एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित वेरोजगार अध्यापक संघ के प्रैस सचिव प्रकाश चंद ने कहा कि संघ की आनलाइन मीटिंग हुई / वैठक में संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह मनकोटिया,वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय सिंह , महासचिव मनीष डोगरा, सचिव लेख राम, उपाध्यक्ष अजय रत्न व संजय राणा, मुख्य संगठन सचिव पुरषोत्तम दत्त, वित्त सचिव संजीव कुमार,संगठन सचिव यतेश शर्मा , हरिन्द्र पाल व सपना, आडिटर सुधीर शर्मा एवं रणयोध सिंह, जिलाध्यक्ष कांगड़ा निर्मल सिंह, जिलाध्यक्षा ऊना रजनी वाला, जिलाध्यक्ष विलासपुर किशोरी लाल एवं जिला उपाध्यक्ष मंडी सुरिंदर सिह ने अपने सांझा व्यान में कहा कि सरकार पुनः विचार याचिका दायर करने से पहले प्रशिक्षित वेरोजगार अध्ययकों का पक्ष भी जान ले।
कानून के अनुसार प्रदेश के सभी पात्र लाखों उमीदवारों को 2613 एस. एम. सी शिक्षकों की भर्तियों में नियमित शिक्षक वनने के समान अवसर नहीं मिले हैं।
ऐसा इसलिए हुआ कि सरकार ने एस. एम. सी पालिसी के अनुसार एस. एम. सी शिक्षकों के स्थान पर हर वर्ष नियमित शिक्षक नहीं भेजे जिससे वेरोजगार अध्यापकों को नियमित शिक्षक वनने के समान अवसर नहीं मिले।
एस .एम .सी शिक्षक एस. एम सी पालिसी के अन्तर्गत इस शर्त पर सेवाएं देते रहे कि जैसे ही नियमित शिक्षक उनके स्थान पर आऐगा, उनकी सेवाएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी/ हम सभ जानते हैं जिन 2613 शिक्षकों के पदों पर एस. एम. सी शिक्षक तैनात हैं। इन पदों पर प्रदेश के सभी पात्र उमीदवारों का हक है। यही कारण था कि कोर्ट ने इन शिक्षकों की नियुक्तियां रद्ध कर दी हैं।
दूसरी तरफ यदि वेरोजगार अध्यापक नियमित शिक्षक वनना चाहते हैं तो उनको या तो कमिशन पास करना पड़ता है या वैचवाईज भर्ती का इंतजार करना पड़ता है। यही सुविधा एस. एम. सी शिक्षकों को भी प्राप्त है।
इससे स्पष्ट है एस. एम. सी शिक्षकों को नियमित शिक्षक वनने के लिए नियमानुसार समान अवसर मिल चुके हैं/अब कोर्ट को गुमराह करने के लिए यह कहा जा रहा है कि एस. एम. सी शिक्षक जनजातीय एवं दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं/ इसलिए इनके प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है/ऐसे तो नियमित शिक्षक भी वहुत हैं जो जनजातीय एवं दुर्गम क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
जव नियमित शिक्षकों का चयन किया जाता है तो उस समय उन्हीं उमीदवारों को काऊंसलिंग में भाग लेने की अनुमति होती है जो दुर्गम क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देने को तैयार होते हैं/एक आर. टी.आई में खुलासा हुआ है कि कुल 792 एस. एम. सी स्कूल लैकचरर (न्यू) हिमाचल प्रदेश में कार्यरत थे जिन में से 582 गैर जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत पाऐ गऐ थे।
इसके उपरांत ऊना जिला में हर वर्ग के असंख्य एस. एम. सी शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह जिला जनजातीय क्षेत्र में नहीं आता, इसलिए सरकार कोर्ट को स्पष्ट करे की 582 एस. एम. सी स्कूल लैकचरर(न्यू) जो गैर जनजातीय क्षेत्रों में तैनात थे, उनके स्थान पर 582 नियमित शिक्षक आठ साल वीत जाने के वाद भी कैसे नहीं भेजे।
सरकार कोर्ट को यह भी स्पष्ट करे कि ऊना जिला में तैनात असंख्य एस. एम. सी शिक्षकों के स्थान पर आठ साल का समय वीत जाने के वाद भी नियमित शिक्षक कैसे नहीं भेज पाई जवकि 1998 से हजारों प्रशिक्षित पात्र उमीदवार राज्य के रोजगार कार्यालयों में उपलब्ध थे।
उपरोक्त चर्चा से स्पष्ट है कि अन्याय योग्य बेरोजगार अध्यापकों के साथ हुआ है न कि एस. एम. सी शिक्षकों के साथ। अब सरकार को तय करना है कि वह सच के साथ चलना चाहती है या झूठ के साथ चलना चाहती है।