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चौहान दम्पति के लिए निःस्वार्थ सेवा की मिसाल बने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में कार्यरत कर्मी

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एप्पल न्यूज़, शिमला

वैश्विक महामारी कोरोना जो चीन के वुहान शहर से निकल कर दुनिया भर के लग भग हर देश को अपनी चपेट में ले चुका है, इस से हिमाचल प्रदेश भी अछूता नहीं रह पाया है। हर दिन संक्रमितों व कोविड से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं प्रदेश के अस्पतालो पर कोरोना के मरीजों का बोझ भी बढ़ रहा है।

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इस बीच अस्पतालो में कुव्यवस्था व लापरवाही की खबरें काफी हो हल्ला मचा रही है। परंतु अस्पतालो में कार्यरत डाक्टरों, नर्सों, वार्ड बॉयज और सफाई कर्मियों द्वारा की जा रही देख भाल व सेवा के बारे में हमने कम ही सुना है।

नवम्बर माह की 3 तारीख को शिमला निवासी, 68 वर्षीय चैन राम चौहान और उनकी 62 वर्षीय पत्नी संतोष चौहान कोरोना से संक्रमित पाए गए। चैन राम को घटते ऑक्सिजन व डायबिटिक होने के कारण इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती किया गया। वही संतोष चौहान जो डायबेटइस, ओस्टीयोपोरोसिस, हाइपरथाइरोइडइज़म जैसी बीमारीयों से पहले से ग्रसित थी को 4 नवम्बर को ज्यादा तबियत बिगड़ने पर IGMC में भर्ती कर दिया गया।

15 दिन अस्पताल में उपचाराधीन रहने के बाद जब चौहान दम्पत्ति स्वस्थ हो घर लौटे तो उन्होंने इस महामारी से जीत का श्रेय igmc के उन कर्मीयों को दिया जिन्होंने दिन रात निःस्वार्थ भाव से उनकी सेवा में कोई कसर नही छोड़ी। एक वाक्या साझा करते संतोष भावुक हो बताती हैं कि जिस लड़के की ड्यूटी खाना बांटने की थी वो एक बेटे की तरह प्रेम से खाना खिलाता था, कि भूख न होने पर भी एक रोटी खा लेती थी। वही जो ड्यूटी डॉक्टर और नर्सेज होते थे वो बार बार आ के साथ बैठ के पूछते थे कि खाना खाया, तबियत ठीक है और कभी कभी वह अपने दुख दर्द भी साझा कर देते थे। आस पास रोजाना किसी को दम तोड़ते देख जब हौसला टूटने लगता था तब यही डाक्टर्स, नर्सेज और ड्यूटी स्टाफ एक परिवार की तरह साथ आ हिम्मत बंधाते थे और जल्द ठीक हो घर जाने की बात कर नई शक्ति देते थे।
चैन राम बताते हैं कि डॉक्टरों को PPE किट में बहुत परेशानी होती थी, घंटो तक जीवन की मूल भूत क्रियाओं जैसे पानी पीना और शौचालय का इस्तेमाल करना उनके लिये संभव नही होता था। उनकी यह हालत देख बहुत दुख होता था पर फिर भी ऐसे में वह अपने कर्तव्यों का निर्वाहन पूरणता करते रहते थे।
संतोष बताती है की बहुत सारे लोग जो कोविड वार्ड में ड्यूटी दे रहे है महीनों से अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों से मिले नही है। ऐसे में उनकी मानसिक परिस्थिति कैसी होगी, पर फिर भी वो हर एक मरीज़ का ख्याल अपने परिवार के सदस्य की तरह रखते रहे। यह सोच उनके लिय सम्मान और भी बढ़ गया है।
चौहान दम्पत्ति आज कोविड से जंग जीत अपने घर परिवार के साथ लौट चुके है परंतु कोविड वार्ड में कार्यरत डॉक्टर्स, नर्सेज और वो खाना बांटने वाला लड़का जिसका संतोष जी को नाम भी नही पता आज भी मरीजो की सेवा में निःस्वार्थ भाव से जुटे होंगे।
आलोचना करना आसान है मगर खुद जा कर ऐसी परिस्थिति में उन लोगो की सेवा अपनो की तरह करना जिन्हें आप जानते भी नही एक बहुत बड़ी बात है। चौहान दम्पति अपने स्वस्थ्य होने का श्रेय पूरण रूप से इन्ही सब को देते है जिनका वो नाम तक नही जानते और शायद कभी उनके सामने आने पर उन्हें पहचान भी न पाए।
आज हिमाचल में कोविड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, लोग सरकार और प्रशासन को इसका जिम्मेदार बता अपनी लापरवाही छुपाना चाहते है। जब कि सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का लोग कड़ाई से पालन नही कर रहे जिस कारण हम अपनो और पूरे समाज को एक भयावय स्तिथि में पहुंचा सकते है।

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