एप्पल न्यूज़, सोलन
डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के वैज्ञानिकों द्वारा सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर किए जा रहे शोध गतिविधियों की वार्षिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। कुलपति डॉ परविंदर कौशल; विशेष सचिव कृषि एवं राज्य परियोजना निदेशक एसपीएनएफ राकेश कंवर; कार्यकारी निदेशक राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई डॉ राजेश्वर चंदेल और संयुक्त निदेशक अनुसंधान डॉ रविंदर शर्मा बैठक में शामिल हुए।
विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर, क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा और कृषि विज्ञान केंद्र ताबो में एसपीएनएफ पर काम कर रहे वैज्ञानिकों की टीम ने हिस्सा लिया। विश्वविद्यालय में एसपीएनएफ के समन्वयक डॉ सुभाष वर्मा ने पिछले वर्ष के दौरान विभिन्न फसलों पर की गई शोध गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
इस अवसर पर राकेश कंवर ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को कृषि तकनीक पर विज्ञान आधारित निष्कर्षों की स्थापना के लिए काम करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कार्य भविष्य में किसानों के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिस को विकसित करने में मदद करेंगे। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी जिलों एवं अधिकांश पंचायतों के 1.2 लाख से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है और उनकी प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक है।
उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अपने अध्ययन को व्यापक बनाने के लिए इन किसानों के साथ भी मिलकर कार्य कर सकते हैं। डॉ चंदेल का विचार रहा कि विश्वविद्यालय को एसपीएनएफ के तहत कुछ एग्रोफोरेस्ट्री मॉडल भी विकसित करने चाहिए, ताकि पांच-स्तरीय प्रणाली बनाई जा सके। स्थानीय किस्मों के बीज उत्पादन के लिए किसानों के साथ सहयोग पर भी चर्चा की गई।
कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती तकनीक के तहत विश्वविद्यालय द्वारा पहले से विकसित कम लागत के भंडारण, प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों और प्रोटोकॉल की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए सहयोग करने की दिशा में काम करेगा।
उनका विचार था कि इस प्रणाली के तहत राज्य में उगाई जाने वाली पारंपरिक फसलों पर भी शोध किया जा सकता है। डॉ कौशल ने वैज्ञानिकों से प्रकृति की स्थिरता और किसानों के लिए खेती की एक विश्वसनीय वैकल्पिक प्रणाली विकसित करने के लिए ईमानदारी से काम करने का आग्रह किया।