एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल सरकार द्वारा कोरोना महामारी के बीच रशिया से अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर का करार करने के मामले पर पक्ष और विपक्ष आमने सामने हो गए हैं। दोनों ही हेलीकॉप्टर खरीद को लेकर मजबूती से अपना पक्ष भी रख रहे हैं और खुद को सही भी साबित कर रहे हैं। कैबिनेट बैठक के बाद शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज नर साफ कहा कि हेलीकॉप्टर करार पूरी पारदर्शिता के साथ जनहित में किया गया है। तो वहीं विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री इसे फिजूलखर्ची और कोरोना आपदा के बीच नए अवसर के तौर पर किया गया करार बता रहे हैं।
हेलीकॉप्टर विवाद पर सफाई में उल्टा विपक्ष को घेरते हुए शहरी विकास मंत्री ने यहां तक कह दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री दिल्ली घोड़े या गधे पर नही बल्कि हेलीकॉप्टर पर ही जाया करते थे।
उन्होंने कहा कि 2019 को टेंडर प्रक्रिया के द्वारा हेलीकॉप्टर लेने का समझौता हुआ था जो कोरोना के चलते लेट हुआ। इस हेलीकॉप्टर का प्रयोग ट्राइबल क्षेत्रों में आपातकालीन स्थिति में भी प्रयोग किया जाता है। इसलिए बड़े हेलिकॉप्टर की आवश्यकता थी।
मौजूदा हेलीकाप्टर 2013 का मॉडल था जो पुराना हो चुका था। पुराने हेलीकॉप्टर का रेट 5 लाख 10 हजार प्रति घंटा था इतना ही रेट नये हेलीकॉप्टर का भी है। नया हेलीकॉप्टर 24 सीट का है जो दिल्ली पहुंच चुका है अगले माह इसके शिमला पहुँचने की उम्मीद है।
प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने संसदीय कार्यमंत्री पर पलट वार करते हुए कहा कि हिमाचल सरकार को हेलिकॉप्टर सौदा सालाना 35 करोड़ में पड़ेगा। उन्होंने कहाकि सरकार कम्पनी से हुए करार के दस्तावेज पुराने करारों सहित सार्वजनिक करे। साथ में कम्पनी को लगाए गए 5 करोड़ जुर्माने के काग़ज़ात भी दिखाए, क्यूँकि जुर्माना लगाने की दावा उन्होंने किया है।
उन्होंने कहा नए हेलीकाप्टर ख़रीद की टाइमिंग पर हिमाचल में ही नही पूरे देश में प्रतिक्रिया हुई है कि ऐसा कौन सा प्रदेश है जो कोविड काल में हेलीकाप्टर ख़रीद रहा है और यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक भी है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहाकि लोकतंत्र लोकलज्य से चलता है। आज जब भारद्वाज हेलीकाप्टर ख़रीद पर सफ़ाई दे रहे हैं उस दिन भारत ने कोरोना में विश्व रिकोर्ड बनाया है।
हिमाचल मंत्रिमंडल में सभी कर्मचारियों की दो – दो रोज़ की तनख़्वाह काट रहे हो., चतुर्थ श्रेणी को भी नही छोड़ा। प्रदेश में हाथ फैलाए हुए हो। अगर कोरोना काल में छोटा हेलिकॉप्टर ही चलाए रखते तो क्या दिक़्क़त थी। उन्होंने पूर्व मुख्य मंत्री के समय खच्चर , गधे पर चलने जेसी शब्दाबली पर एतराज जताया और कहा कि इस शासन में में भी हेलीकाप्टर का इस्तेमाल कहाँ कहाँ हुआ है, सब मालूम है यह मत समझो कि इसबारे किसी को कोई खबर नही। प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि क़र्ज़े के रिकोर्ड टूट गए, क़र्ज़े लेने की सीमाएँ बढ़ाई जा रही है, एक इंच भी सरकार बिना हेलीकाप्टर के नही चलती, अन्दाज़ शाही हैं कि रशिया से मंगाए चमचमाते हेलीकाप्टर की ही सवारी करनी है। इस समय बेक्सिन एवं ऑक्सिजन ज़रूरी है ना की हवाई सर्वे। उन्होंने कहा कि ट्राइबल इलाक़ों का तो महज़ नाम है। उन्हें कितनी बार हेलीकाप्टर भेजा गया।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पवन हंस सरकारी कम्पनी थी 2012 में तत्कालीन धूमल सरकार ने तीन लाख 36 हज़ार प्रति घंटे के हिसाब से हेलीकाप्टर लिया, जबकि 2017 में उसे दो साल के लिए तीन लाख तीस हज़ार पर करार हुआ था। जबकि अब पाँच लाख दस हज़ार पर करार किया है।