एप्पल न्यूज़, सीआर शर्मा आनी
आनी क्षेत्र मैं “बी मां” का पर्व धूमधाम से मनाया गया। जेष्ट माह के प्रथम रविवार से शुरू होने वाला यह उत्सव 16 दिनों तक चला और 16 दिनों के बाद पूरे विधि विधान के साथ इसका विसर्जन किया गया।
16 दिनों तक चले इस पर्व में ब्राह्मण परिवार की सुहागिनें हर रोज सुबह भूखे पेट “बी मां” की पूजा करती हैं और उस के बाद कथा सुनती हैं। 16 वें दिन “बी मां” का प्राकृतिक जल स्रोत बाबडी के पास पूजा-अचृना के बाद विसर्जन किया गया।
दलाश क्षेत्र के आसपास रिवाडी,रौं, चापोहल, गोहाण, ओलवा, कराणा, बटाला, ठोगी, शमेशा, निथर, तूणी, व बौरी के अलावा तुमन,आदि क्षेत्र मैं धूमधाम से मनाया गया ।
“बी मां” यानि विधाता का पर्व क्षेत्र में सदियों से धूमधाम से मनाया जाता है। “बी मां” का पर्व हर वर्ष जयेष्ट माह के प्रथम सप्ताह के पहले रविवार से शुरू होता है।लोग अपने घरों मैं पूजा अर्चना के साथ ही मां की स्थापना करते हैं इसके लिए लकडी की तखती नुमा पटिका के ऊपर रंगों से चित्र बनाऐ जाते हैं उसके बाद उस पर पूजन सामग्री रखकर हर रोज सुबह 16 दिनों तक चले इस तयोहार मैं सुहागिनें नहा धोकर भूखे पेट पूजा करती हैं।
पूजा करने के बाद “बी मां” की कथा सुनी जाती है। पूजा पाठ के दौरान सुहागिनें अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं। 16 वें दिन गांव की सभी औरतें “बी मां” को पूजा पाठ के बाद घरों से साथ निकलती और पारंपरिक बेशभूषा में तथा लोकगीतों के साथ बाऊडी के पास इसका विसर्जन करती हैं।
इस दौरान सभी महिलाएं आपस में प्रसाद बांटती हैं । रिवाडी गांव की महिला सुभद्रा देवी, मेनका देवी, गायत्री देवी, देवयानी,रेखा शर्मा, दया, भांमा देवी,कौरी देवी,पुष्पा, मीना, सरोज, आदि महिलाओं का कहना है कि “बी मां” का तयौहार काफी प्राचीन है और इसे हर साल धूमधाम से मनाती हैं। उन्होंने कहा कि वे अपनी प्राचीन संस्कृति को आज भी संजोए हुए हैं।