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दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना ने युवाओं के लिए खोले रोजगार के द्वार

एप्पल न्यूज़, शिमला

प्रदेश के युवाओं को दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अन्तर्गत हुनरमंद बनाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इस योजना में प्रदेश की युवाशक्ति का समुचित दोहन कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

       इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं को कौशल प्रदान कर उन्हें न्यूनतम मजदूरी या उससे अधिक नियमित मासिक वेतन पर रोजगार प्रदान करना है।

दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के अन्तर्गत वर्ष 2023 तक 22000 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत अभी तक 5320 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिनमें से 3021 युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्रदान किया गया हैं।

इस योजना के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके लाभार्थी प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों में कार्यरत है। हाॅस्पिटैलिटी ट्रेड के अन्तर्गत कार्यरत युवाओं को भोजन के साथ छात्रावास की सुविधा प्रदान की जा रही है।

गरीब ग्रामीण युवाओं के लिए आयु सीमा 15-35 वर्ष तथा दिव्यांग, महिलाओं तथा अन्य कमजोर वर्गों के लिए आयु सीमा 45 वर्ष निर्धारित की गई है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार, मनरेगा के तहत वित्त वर्ष में कम से कम 15 दिन का कार्य करने वाले श्रमिक के परिवार सदस्य, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्ड धारक परिवार, अन्त्योदय अन्न योजना/बीपीएल/पीडीएस कार्ड परिवार तथा स्वयं सहायता समूह के सदस्य इस योजना के पात्र होंगे।

इस योजना के तहत 70 प्रतिशत प्रशिक्षित लाभार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में निश्चित रोजगार का आश्वासन प्रदान किया जाता है। योजना के तहत प्रशिक्षुओं को निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ निःशुल्क छात्रावास की सुविधा प्रदान की जाती है। इस योजना के अन्तर्गत कोर्स की अवधि 3 से 12 महीने की होती है। योजना के लाभार्थियों को एक वर्ष का पोस्ट प्लेसमेंट प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

 वर्तमान में इस योजना के तहत परिधान (अपैरल), हाॅस्पिटैलिटी, ग्रीन जाॅब्स, ब्यूटिशियन, सिलाई मशीन आॅपरेटर, बेकिंग, स्टोरेज आॅपरेटर, स्पा, अनआम्र्ड सिक्योरिटी गार्ड, इलेक्ट्रीशियन डोमेस्टिक, सेल्स एसोसिएट, अकाॅउंटिंग, बैंकिंग सेल्स रिप्रेजेन्टेटिव, कंप्यूटर हार्डवेयर असिस्टेंट, टेली एक्सेक्यूटिव-लाइफ साइंसेज आदि टेªड्स डीडीयू-जीकेवाई के अन्तर्गत संचालित किए जा रहे हैं।

इन ट्रेडस के अन्तर्गत युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उनके कौशल में विकास किया जाता है। वर्तमान समय में डिजिटल स्किल, सोशल मीडिया, इलैक्ट्राॅनिक, विजुअलाइजेशन, टेलिविजन और मोबाइल रिपेयर जैसे क्षेत्रों में रोजगार, स्वरोजगार और रोजगार सृजन के अपार अवसर उत्पन्न हुए हैं। इन ट्रेडस के माध्यम से अर्धकुशल युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया जाता है।

दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर कई युवाओं ने भविष्य के लिए सजाए सुनहरे सपनों को साकार किया है। जिला कांगड़ा के गांव कछियारी के अक्षय कुमार के लिए यह योजना वरदान सिद्ध हुई है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी।

उनके पिता दिहाड़ीदार मजदूर है और पूरे परिवार का बोझ उन्हीं के कंधों पर था। घर में आर्थिक तंगी होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी लेकिन अक्षय कुमार आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन कर अपने परिवार का सहारा बनना चाहते थे।

यह योजना उनके लिए आशा की किरण बनकर आई। जब उन्हें योजना के बारे में पता चला तो इसका लाभ उठाने के लिए उन्होंने बैंकिंग एण्ड अकाउंटिंग पाठ्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षण लेना शुरू किया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने आई.टी. और स्पोकन इंग्लिश की मुफ्त कक्षाएं भी ली, जिससे उनके संचार कौशल में काफी सुधार हुआ है। योजना के अन्तर्गत उन्हें अध्ययन सामग्री के साथ-साथ यात्रा भत्ता भी मिला और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें संबंधित क्षेत्र से काफी नई चीजें सीखने का अवसर प्राप्त हुआ।

वर्तमान में वह पी.डब्ल्यू.डी. गेस्ट हाउस चंडीगढ़ में बतौर सहायक लेखाकार के रूप में कार्यरत है। उन्हें 12 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है। उनका कहना है कि यह योजना उनके सपने को साकार करने में सहायक सिद्ध हुई है और आज वह आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ-साथ अपने परिवार का सहारा भी बन रहे हैं।

ऐसा ही कुछ सुखद अनुभव जिला शिमला की तहसील रामपुर के गांव काशापाट के कमलेश को भी हुआ, जब उन्होंने डीडीयू-जीकेवाई के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त किया। कृषक परिवार से संबंध रखने वाले कमलेश की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी।

इस कारण उन्हें 12वीं के पश्चात अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए उन्होंने शिक्षित होने के बावजूद मजदूरी करना शुरू कर दिया था, जिसमें उन्हें प्रतिमाह केवल तीन हजार रुपये मिलते थे।

इतनी कम आय में उनके लिए गुजारा करना बहुत मुश्किल हो गया था, लेकिन जब उन्हें इस योजना के बारे में पता चला, तो उन्होंने हाऊसकिपिंग मैनुअल अटेंडेंट कोर्स में दाखिला लिया। तीन माह के इस कोर्स में उन्हें हाऊसकिपिंग से संबंधित सभी प्रकार का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

प्रशिक्षण प्राप्त होने के पश्चात वह एक निजी होटल में हाऊसकिपिंग मैनुअल अटेंडेंट के रूप में चयनित हुए। वर्तमान में उन्हें अच्छा वेतन मिल रहा है। इसके साथ उन्हें समय-समय पर इंसेंटिव भी मिल रहे हैं। उनका कहना है कि सभी बेरोजगार युवाओं को इस योजना का लाभ उठाकर आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ना चाहिए।

कमलेश और अक्षय कुमार जैसे कई युवा इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान कर रही है।

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