एप्पल न्यूज़, शिमला
दिल्ली में किसान आंदोलन के 11 महीने पूरे हो गए है। इस दौरान 28 राज्यों व 4 केंद्र शासित शासित राज्यों से किसान 5 बॉर्डर पर बैठे हैं। एक बार फिर सर्दी से सामना करने वाले है। इस आंदोलन में 700 से अधिक किसान अब तक शहीद हो चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश संयोजक अनिन्दर सिंह नोटी ने शिमला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों का दमन करने वाले व हत्यारे एक ही है और एक विचारधारा के हैं। किसानों की दुर्दशा यह बात बताती है आज भी उन शहीदों को न्याय नहीं मिला। उपचुनावों में हिमाचल के किसान बागवान, मजदूर, बेरोजगार शहीद किसानों को श्रद्धाजंलि वोट के रूप में देंगे।’नो वोट फ़ॉर बीजेपी’ अभियान का असर इन चुनाव में दिखेगा। इस अभियान में हिमाचल के हर कोने से किसान जुड़ें है। सेब उत्पादक क्षेत्रों में बागवानों द्वारा आवाज़ उठाने पर सरकार ने उछल कूद जरूर की पर किया कुछ नहीं। उन्होंने कहा अडानी लदानी का बायकॉट किया गया है।
ठियोग में मंत्री महेंद्र सिंह का घेराव हो या ऐसी पंचायतें जहां किसानों ने वोट मांगने बीजेपी को घरों में नहीं आने दिया। सरकार के प्रति किसानों के रोष को साफ जाहिर करते हैं। उन्होंने कहा कि यह इसी जन जागरण अभियान का नतीजा है। नोटी ने कहा कि किसानों का आंदोलन अब सीएम के गृह क्षेत्र तक पहुंच चुका है। किसानों द्वारा किए जा रहे एक साल के संघर्ष का असर धरातल पर दिखने लगा है। उन्होंने कहा कि जबकि सरकार कहती थी कि दिल्ली का आंदोलन पहाड़ व सर्पीली सड़कों पर नहीं चढ़ पायेगा लेकिन उसके विपरीत कुल्लू, मनाली सहित प्रदेश के कोने कोने तक आंदोलन पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि 30 अक्तूबर को नो वोट फोर बीजेपी अभियान को सफलता मिलेगी और मतदाता शहीद किसान को श्रद्धाजंलि देंगे। बीजेपी को हार स्पष्ट नज़र आ रही है। उन्होंने सीएम से सवाल किए की दृष्टि पत्र में किसानों जुड़े वायदों का क्या हुआ? कितने किसानों की आय दोगुनी हुई? मौसम से फसल की तबाही पर सरकार का एक अधिकारी फील्ड में गया? क्या सीएम ने एक बयान भी किसान बागवानों के प्रति जारी किया? सेब तबाही पर सरकार ने श्वेत पत्र जारी किया क्या?
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि किसान बीजेपी के खिलाफ वोट करने की अपील कर रहे है किसे देना है मतदाता खुद तय करें।