एप्पल न्यूज़, शिमला
चुनाव नजदीक आते ही भाजपा सरकार ने एक नई कवायद शुरू कर दी है। हाल ही में बनाई गई कैबिनेट कमेटी ने 15 नवम्बर की तारीख से एक पत्र प्रदेश के सभी विभागों, निगम और बोर्डों को लिखा है जिसमें उनसे वहां तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों को नियुक्ति से लेकर अब तक का पूरा ब्यौरा मांगा है।
पत्र में साफ लिखा गया है कि राज्य सरकार ने इन कर्मियों के लिए नीति बनाने का निर्णय लिया है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित कम्पनियों के तहत जितने भी कर्मचारी कार्यरत हैं उनका डाटा एक सप्ताह में उपलब्ध करवाया जाए।

ऐसे में अब प्रदेश के हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को पॉलिसी के तहत सरकारी नौकरी में मर्ज होने की उम्मीद जगी है।
यूं पूर्व कांग्रेस सरकार के समय चुनावों से ठीक पहले भी ऐसी ही कवायद शुरू हुई थी। बाकायदा शिमला के पीटरहॉफ में एक बड़ा कार्यक्रम किया गया लेकिन चुनाव हुए और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। इसी दौरान भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनावों में आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण के मुद्दे को अपने घोषणापत्र में शामिल किया।
अब जब सरकार के 4 साल बीत गए है और उपचुनावों में चारों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा तो उन्हें अपना घोषणापत्र याद आया और अब उस पर नीति बनाने की कवायद शुरू की है। वैसे एक अनुमान के अनुसार राज्य में करीब 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारी सेवारत हैं। यदि इनके लिए सच में पॉलिसी बनाई गई तो निश्चित रूप से इसका फायदा आगामी चुनावों में सत्तासीन दल भाजपा को भी मिलेगा।
