ज्ञानानंद जी महाराज, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने समाज सुधार में शिक्षकों की भूमिका को सराहा
एप्पल न्यूज़, कुफरी (शिमला)
प्रमुख धार्मिक गुरु श्री ज्ञानानंद जी महाराज एवं मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश जयराम ठाकुर ने रविवार को संयुक्त रूप से तीन शिक्षाविदों को “शिक्षा भूषण” पुरस्कार से सम्मानित किया।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) 2015 से ऐसे प्रख्यात शिक्षाविदों को हर साल “शिक्षा भूषण” पुरस्कार से सम्मानित कर रहा है।
पुरस्कार विजेताओं में शामिल हैं, प्रो. कपिल कपूर, चेयरपर्सन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी, शिमला, डॉ. बद्री प्रसाद पंचोली, वयोवृद्ध शिक्षाविद् और कवि तथा रेणु दांडेकर, लेखक, शिक्षाविद् और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता।
प्रत्येक पुरस्कार विजेता को 1 लाख रुपए और एक प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
प्रो. कपिल कपूर विश्व स्तर पर प्रशंसित शिक्षाविद हैं, और उनके शिक्षण कार्यों, प्रकाशनों और शोध ने उन्हें विपुल लेखक और उत्कृष्ट शोधकर्ता बना दिया है। कई संस्थानों ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया है। प्रो. कपूर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न समितियों के सदस्य भी हैं।
डॉ बद्री प्रसाद पंचोली एक प्रशंसित शिक्षाविद्, कवि, नाटककार, पत्रकार, भाषा वैज्ञानिक और सामाजिक विचारक हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है।
रेणु दांडेकर लोकमान्य पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा हैं, एक प्रख्यात लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और विख्यात शिक्षिका हैं। दांडेकर को शिक्षा और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई संस्थानों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
भगवद गीता पर अपने शोध के लिए प्रतिष्ठित श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने पांडाल में उपस्थित शिक्षक कार्यकर्ताओं और अतिथियों को तथा शिक्षा भूषण पुरस्कार प्राप्त करने वालों को आशीर्वाद दिया।
उन्होंने हमारे व्यक्तिगत जीवन में पवित्रता लाने पर जोर दिया और सभी को आध्यात्मिक और नैतिक विकास के लिए वर्तमान युग में जीने के लिए कहा।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षक ही हैं जो न केवल अपने छात्रों को पढ़ाते हैं बल्कि सामाजिक सुधार लाने में समाज का मार्गदर्शन भी करते हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए “शिक्षा भूषण” पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सराहना की।
उन्होंने कहा, “वर्तमान युग में हर कोई शिक्षा के आधुनिकीकरण पर जोर दे रहा है लेकिन अपने अतीत से सीख नहीं ले रहा है। हमें अपने भविष्य के लिए एक मजबूत नींव बनाने के लिए अपने गौरव पूर्ण इतिहास से सीखने की जरूरत है। उन्होंने ABRSM (भारत का एक प्रमुख शिक्षक संगठन) की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यही संगठन है जो भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उत्थान और सुधार के लिए प्रमुखता से काम कर रहा है।
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए “शिक्षा भूषण” पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सराहना की।
सीएम ने कहा, “एबीआरएसएम शिक्षा प्रणाली को सार्थक बनाने की कोशिश कर रहा है और नीति निर्माण में सरकारों को वास्तविक सुझाव भी देता है।”
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री ज्ञानानंद जी महाराज और मुख्य अतिथि श्री
जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।
इससे पहले अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर ने अपने स्वागत भाषण में ABRSM की विभिन्न गतिविधियों और “शिक्षा भूषण” पुरस्कार के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्री ज्ञानानंद जी महाराज, मुख्य अतिथि जयराम ठाकुर व सभागार में उपस्थित शिक्षक कार्यकर्ताओं तथा गणमान्य नागरिकों का स्वागत किया।
प्रो. जे पी सिंघल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एबीआरएसएम ने संगठन की गतिविधियों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाने में इसके मिशन पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया, उन्होंने कहा भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक विरासत और गौरव से जोड़ने मैं संगठन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रमुख व्यक्ति हैं जो समाज में समग्र परिवर्तन ला सकते हैं।
एबीआरएसएम के महासचिव शिवानंद सिंधनकेरा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. एन एल गुप्ता ने किया।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर अखिल भारतीय राष्ट्रीय सचिव पवन मिश्रा उतरी क्षेत्र मीडिया प्रभारी दर्शन भारती हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष पवन कुमार वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर माम राज पुंडीर महासचिव विनोद सूद प्रदेश मीडिया प्रभारी दर्शन लाल भीष्म सिंह समेत अन्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी मौजूद रहे।