एप्पल न्यूज़, शिमला
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का मानना है कि शिमला शहर में पूर्व नगर निगम द्वारा आरम्भ की गई परियोजनाओं व विकास कार्यों का मुख्यमंत्री व शहरी विकास मंत्री द्वारा बार बार शिलान्यास कर उपहास के पात्र बन रहे हैं और इससे सरकार व नगर निगम शिमला द्वारा पूर्व नगर निगम द्वारा स्वीकृत व आरम्भ की गई परियोजनाओं व विकास कार्यों को पूर्ण करने में विफलता उज़ागर हो गई है।
माकपा नेता व पूर्व महापौर संजय चौहान ने कहा कि गत दिनों माननीय मुख्यमंत्री द्वारा एस डी ए कॉम्प्लेक्स, कसुम्पटी का दोबारा से शिलान्यास करवाया गया था और पिछले कल शहरी विकास मंत्री जो शिमला शहर के विधायक भी है ने संजौली के इंजन घर स्थित एस पी एम स्कूल खेल मैदान को लेकर दोबारा से उस बहुउद्देश्यीय स्टेडियम का शिलान्यास कर दिया जिसका शिलान्यास पूर्व नगर निगम शिमला ने 6 जून, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से शिलान्यास करवाया था और शहरी विकास मंत्री स्वयं बतौर विधायक इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे थे।
इस बहुउद्देश्यीय स्टेडियम के निर्माण के लिए पूर्व नगर निगम शिमला ने 2016 में 1.86 करोड़ रुपए का प्रारूप तैयार कर इसके निर्माण व विकास का जिम्मा युवा सेवाओं व खेल विभाग को दिया था और 50 लाख रुपए की राशि भी प्रदान की गई थी।
इसका निर्माण कार्य चल रहा है और काफी निर्माण कार्य हो भी चुका था। परन्तु बीजेपी की नगर निगम व सरकार बनने के बाद आज 5 वर्षों में इसे पूरा नहीं किया गया और अब हास्यस्पद बात ये है कि सरकार, नगर निगम शिमला व शहर के विधायक व शहरी विकास मंत्री अपनी नाकामी छुपाने के लिए इसका दोबारा से शिलान्यास कर रहे हैं।
बीजेपी जबसे नगर निगम शिमला व सरकार में सत्तासीन हुई है तबसे शहर के विकास को ग्रहण लग गया है। बीजेपी की ट्रिपल इंजन की सरकार व नगर निगम शिमला अपने कार्यकाल में एक भी विकास की नई परियोजना नही ला पाई है।
सीपीएम के नेतृत्व में पूर्व नगर निगम ने लम्बे संघर्ष के पश्चात करीब 4800 करोड़ रुपए की परियोजनाएं शिमला शहर के लिए स्वीकृत करवाई थी। जिनमें मुख्यतः स्मार्ट सिटी, अम्रुत, विश्व बैंक की पेयजल व सीवरेज का सुधार, टूटीकंडी रोपवे, शहरी गरीब के लिए आवास योजना, आजीविका भवन, शिमला शहर के सौंदर्यीकरण, पार्किंग, पार्क, लेबर होस्टल आदि परियोजनाएं शामिल हैं। परन्तु सरकार व नगर निगम इनको पूर्ण नहीं कर पाई है।
स्मार्ट सिटी का केवल 9% कार्य के लिए ही पैसा खर्च किया जा रहा है। शहर में कार्य केवल चन्द चेहते ठेकेदारों के हितों को ध्यान में रखकर व उनको लाभ पहुँचाने का काम किया जा रहा है। इसके चलते शिमला शहर को स्मार्ट सिटी के नाम पर कंक्रीट के ढंगों का शहर बना दिया है।
सीपीएम बीजेपी की सरकार व नगर निगम की शिमला शहर के प्रति उदासीन रवय्ये व इसके विकास के प्रति नकारात्मक नीतियों को जनता के समक्ष उज़ागर कर इनको पलटने व वैकल्पिक नीतियों के लिए संघर्ष करेगी तथा जनता से अपील करती है कि शिमला शहर के विकास को सही दिशा देने और इसके गौरव को बचाए रखने के लिए इस संघर्ष का हिस्सा बने।