एप्पल न्यूज़, शिमला
राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने शिमला राजभवन में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस समारोह के दौरान 15 शिक्षकों को राज्य पुरस्कार और वर्ष 2021 के एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षक को सम्मानित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि भाारतीय संस्कृति में शिक्षक का सर्वोच्च स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि आज उन शिक्षकों को सम्मानित किया गया है जिन्होंने समाज के लिए योगदान दिया है, जो हम सबके लिए गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज को सतत योगदान व मार्गदर्शन देता है और यही कारण है कि समाज उन्हें हमेशा याद करता है।
उन्होंने कहा कि आज वह जिस स्थान पर पहुंचे हैं उसमें उनके गुरूजनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसके लिए वे उनकी हमेशा कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक की सार्थकता उनके शिष्य की सफलता पर ही होती है।
आर्लेकर ने प्रसन्नता व्यक्त की कि पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों ने पाठ्यक्रम से हटकर कुछ कार्य किया है इसी लिए उन्हें सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि शिक्षक जीवन में समाज को कुछ देकर जाते हैं और समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं।
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में उन्हें शिक्षा के क्षेत्र मेें हटकर कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि आज शिक्षा में बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को पढ़ाने का आनंद होना चाहिए और यह भावना उनमें आनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा ‘मेमोरी टेस्ट’ तक सीमित है जबकि अन्य गुणों को परखा नहीं जाता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 इसके विपरीत है और हर बच्चे में मौजूद गुणों को सामने लाने में सहायक है। उन्होंने कहा कि बच्चों को पाठ्यपुस्तकों के अतिरिक्त भी पढ़ने का शौक विकसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने जीवन में अच्छे इंसान बनने पर बल दिया तथा कहा कि शिक्षा के माध्यम से यह संस्कार उन्हें मिलने चाहिए ताकि किसी भी क्षेत्र में वे अच्छा कर सकें। उन्होंने कहा कि साधन अच्छा होना चाहिए तो निश्चित तौर पर साध्य अच्छा ही होगा।
उन्होंने इस अवसर पर स्मारिका का विमोचन भी किया।
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर शिक्षा दिवस की बधाई देते हुए कहा कि यह दिन विशेष है, इसलिये इसका आयोजन औपचारिकता न होकर शिक्षक के दायित्व और उनकी भूमिका पर केंद्रित होना चाहिये।
उन्होंने कहा कि शिक्षक मानव समाज के विकास की पहली सीढ़ी है जो राष्ट्र कर विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि शिक्षित करना मानव की सबसे बड़ी सेवा है इसलिये इसे महादान भी कहा गया है।
उन्होंने कहा कि पुरस्कृत किये गए हर शिक्षक की प्रेरणादायक कहानी है। इन में से कुछ शिक्षकों ने कोरोना काल में हर चुनौती का सामना करते हुए पढ़ाई का नुकसान नहीं होने दिया।
इस अवसर पर उन्होंने राज्यपाल को हिमाचली टोपी, शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।
प्रधान सचिव शिक्षा देवेश कुमार ने शिक्षा विभाग की विभिन्न गतिविधियों एवं उपलब्धियों की जानकारी दी।
निदेशक, प्राथमिक शिक्षा डॉ. वीरेंद्र शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर पोर्टमोर के स्कूली बच्चों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर निदेशक उच्च शिक्षा अमरजीत सिंह, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न स्कूलों के शिक्षक और विद्यार्थी भी उपस्थित थे।