एप्पल न्यूज़, सोलन
डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में जैविक उत्पादन प्रणाली में विकास और प्राकृतिक खेती पर आयोजित 10 दिवसीय पाठ्यक्रम सह प्रशिक्षण का बुधवार को समापन हुआ।
पाठ्यक्रम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वित्त पोषित और विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी विभाग द्वारा इसकी योजना और आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में तमिलनाडु, केरल, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 17 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन के तहत ही प्रशिक्षुओं का चयन किया गया।
समापन सत्र के दौरान प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि कृषि समुदाय की भलाई के लिए विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों को एकजुट होकर काम करते देखना अद्भुत है। उन्होंने कहा कि देश ने मिट्टी और पानी का संरक्षण सुनिश्चित करने और समाज को स्वस्थ भोजन प्रदान करने के लिए देश ने सही समय पर एक चुनौती ली है।
प्रो॰ चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती एक किसान-केंद्रित दृष्टिकोण है जहां किसानों के साथ-साथ वैज्ञानिक समुदाय भी सीख रहा है। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करके अपने क्षेत्रों के लिए प्राकृतिक खेती पर अपना पैकेज ऑफ प्रैक्टिस विकसित करें।
इससे पहले प्लांट पैथोलॉजी विभाग के हैड और पाठ्यक्रम निदेशक डॉ एचआर गौतम ने प्रतिभागियों को पाठ्यक्रम में रुचि लेने के लिए धन्यवाद दिया और उनसे अपने संस्थानों और क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का ब्रांड एंबेसडर के रूप में कार्य करने का आग्रह किया।
पाठ्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती के सभी पहलुओं के बुनियादी सिद्धांतों, खाद्य उत्पादन, पौधों की सुरक्षा, पोस्ट हार्वेस्ट और प्राकृतिक खेती के समग्र अर्थशास्त्र से अवगत करवाया गया।
माइक्रोब्स का जैविक और प्राकृतिक कृषि प्रणालियों में उनके संभावित उपयोग, बहुपरत खेती, मृदा पोषक तत्वों की गतिशीलता और विश्लेषण, बायोकंट्रोल एजेंटों का प्रभावी उपयोग और रोग प्रबंधन में नई अंतर्दृष्टि जैसे विषयों को ट्रेनिंग के दौरान कवर किए गए।
मशोबरा और नौणी में विश्वविद्यालय के खेतों का दौरा और क्षेत्र प्रशिक्षण भी इस ट्रेनिंग में शामिल रहा।
डॉ. संजीव चौहान, अनुसंधान निदेशक, डॉ. मनीष शर्मा, डीन सीओएच, डॉ. सीएल ठाकुर, डीन सीओएफ, प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. एन.के. भरत और डॉ. भूपेश गुप्ता सहित विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती में लगे संकाय ने समापन समारोह में भाग लिया।