एप्पल न्यूज़, शिमला
ठाकुर सुखविंदर सिंह
माननीय मुख्यमंत्री,
हिमाचल प्रदेश।
मान्यवर,
इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान शिमला शहर में ऐतिहासिक व सामरिक रुप से महत्वपूर्ण व वर्तमान में नगर निगम शिमला के कार्यालय ‘टाऊन हॉल’ के बारे मे आकर्षित करना चाहता हूं।
मान्यवर, आपको विदित ही है कि इस टाऊन हॉल भवन का निर्माण वर्ष 1905 में ब्रिटिश काल में किया गया था और उसी समय से इसका इस्तेमाल प्रशासनिक कार्यालय के रुप में किया जाता रहा है तथा आज़ादी के बाद से इसमें नगर प्रशासन का कार्यालय चलाया जा रहा है। नगर निगम शिमला का कार्यालय इसमें लम्बे समय से कार्य करता आ रहा है।
यह ज्ञात तथ्य है कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार टाऊन हॉल का मालिकाना हक नगर निगम शिमला का है। रिकार्ड के अनुसार 474-18 वर्ग मीटर नगर निगम शिमला का कब्जा व कार्यालय स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।
आपको विदित ही है कि टाऊन हॉल में ऊपर की मंजिल में महापौर, उपमहापौर, आयुक्त के कार्यालय व निचली मंजिल में अधिकारियों व जनसेवा के लिए विभागीय कार्यालय के अतिरिक्त नगर निगम का बैठक का कक्ष है।
वर्ष 2015 में प्रदेश सरकार ने जीर्णोद्धार हेतु इस ऐतिहासिक भवन को अपने कब्जे में ले लिया था और नगर निगम शिमला के कार्यालय को अस्थाई रूप से उपायुक्त, शिमला कार्यालय के परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया था।
लम्बे समय के अंतराल के बाद वर्ष 2021 मे इसके जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण किया गया। उसी समय तत्कालीन भाजपा शासित नगर निगम शिमला ने प्रदेश सरकार के दबाव में आकर इसको व्यवसायिक रुप से चलाने के लिए एक प्रस्ताव पारित कर उच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र दायर किया जिसमें इस भवन को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किसी निजी संस्थान को देने का प्रस्ताव भी सलंग्न किया गया था।
यह स्पष्ट रूप से पूर्व भाजपा सरकार व निवर्तमान नगर निगम द्वारा संविधान के अंतर्गत दिए गए दायित्व का खुलेआम उलंघन है क्योंकि संविधान में सरकार व नगर निगम जैसी संवैधानिक संस्थाओं को जनता की संपत्ति की रक्षा कर उसे जनता के हितों के लिए उपयोग में लाने का दायित्व है।
परन्तु नगर निगम शिमला के टाऊन हॉल, जहाँ से शहर की चुनी हुई सरकार ‘नगर निगम’ जनता के हित के लिए कार्य करती है उसको निजी हाथों में देना पूर्ण रूप से संवैधानिक दायित्व व कानून का उल्लंघन है।
टाऊन हाल को निजी हाथों में देने के बाद नगर निगम शिमला के पास कोई भी अपना स्थान नहीं रह जाएगा जहां पर वह अपनी मासिक व अन्य बैठकें कर सके।
पूर्व नगर निगम शिमला द्वारा टाऊन हाल के अतिरिक्त नगर निगम शिमला की अन्य संपत्तियों जिनमें टका बेंच बुक कैफे, टूटीकंडी बहुद्देश्य परिसर आदि को भी कारोबार के लिए निजी हाथों में दिया गया है। जिससे प्रतिवर्ष नगर निगम व जनता के पैसों का लाखों रुपए का नुकसान किया गया है। जनहित में इसकी भी अवश्य जांच होनी चाहिए।
विश्व भर में संवैधानिक व पारम्परिक रुप से शहर के टाऊन हॉल नगर निकाय के अधिकार क्षेत्र में ही रहे हैं तथा इनमें नगर निगम अपने प्रशासनिक कार्यालय संचालित करता है।
शिमला टाउन हॉल को निजी हाथों में देकर पूर्व भाजपा सरकार व निवर्तमान नगर निगम शिमला द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग कर अपने संवैधानिक दायित्व का उल्लंघन कर कानून की अवहेलना की गई है।
देश के संविधान में त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था में जनता द्वारा चुने हुए नगर निगम व नगर निकाय को शहर में जन आकांक्षाओं के अनुरूप शासन व्यवस्था चला कर जनता के समग्र विकास का दायित्व दिया गया है।
परन्तु पूर्व सरकार व नगर निगम शिमला ने अपने इस संवैधानिक दायित्व की अवहेलना कर खुले रूप से संविधान व हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम,1994 का उल्लंघन किया है।
अत: आप से आग्रह है कि आप जनहित को ध्यान में रखकर तुरन्त पूर्व सरकार व नगर निगम शिमला के द्वारा टाऊन हाल व अन्य संपत्तियों को निजी हाथों में देने के निर्णय को निरस्त करें तथा हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 व भ्रष्टाचार उन्मूलन की धाराओं के तहत नगर निगम शिमला कि संपत्तियों को इस तरह से निजी हाथों में देकर क्षति पहुंचाने वालों के विरूद्ध उचित कार्यवाही करें।
आशा है आप इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इस पर तुरन्त कार्यवाही कर शिमला शहर की जनता की संवैधानिक, ऐतिहासिक व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण धरोहर टाऊन हॉल को निजी हाथों में जाने से रोकें और इस भवन को नगर निगम शिमला के पास शासनिक कार्यालय के रूप में रखेंगे।
सादर!
आपका
संजय चौहान
जिला सचिव, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
एवं पूर्व महापौर, नगर निगम शिमला