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9 अगस्त 1961 का वो दिन जब बिलासपुर अपने भारत देश के लिए एक झील में समा गया था..…….

एप्पल न्यूज, बिलासपुर

9 अगस्त 1961 का वो दिन जो आज भी बिलासपुर के लोग नहीं भूल पाते है…आज भी वे उस दिन के बारें में सोचते है तो उनकी आंखें नम हो जाती है। ऐसा क्या हुआ था उस दिन जो वहां के लोगों को ये दिन उदास कर जाता है..

हिमाचल प्रदेश में कई पावर प्रॉजेक्ट लगे और उनसे पैदा हो रही बिजली का पूरा देश फायदा उठा रहा है। मगर बांधों के कारण बहुत से लोगों को जमीन से विस्थापित होना पड़ा है। ऐसा ही किस्सा है बिलासपुर का…. आज नए बिलासपुर शहर को बसे 62 साल हो गए हैं।

बता दें कि पुराना बिलासपुर और आसपास के कई गांव भाखड़ा बांध से बनी गोविंद सागर झील में समा गए थे। ये बात “9 अगस्त 1961 की है जब भाखड़ा बांध में पानी भरना शुरू हुआ और विशाल गोबिंद सागर झील बनी, उस समय पूरे बिलासपुर की आंखों में आंसू थे।उस अहसास को आज भी लोगों से महसूस किया जा सकता है।

वहीं ,तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस प्रॉजेक्ट को आधुनिक भारत का मंदिर करार दिया था। और दूसरी तरफ लोग बेहद दुखी थे, जिन्होंने अपना घर, खेत, मंदिर, मैदान.. सबकुछ डूबते हुए देखा।

लोग खुद को दिलासा दे रहे थे और जुबान पर शब्द थे- चल वो जिंदे नवी दुनिया बसाणी, डुबी गए घर आई गेया पाणी। सब अपना सामान उठाकर नए आशियाने की तलाश में निकल गए।

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विस्थापित लोगों को बसाने और सभी सुविधाएं देने का विश्वास दिलाया था कुछ लोगों को हरियाणा के हिसार, सिरसा और फतेहगढ़ में जमीन दी गई । विस्थपित लोगों के लिए नया बिलासपुर शहर बनाया गया।

बिलासपुर के लोगों को मजबूरी में अपनी बसी-बसाई दुनिया छोड़कर दूसरी जगह जाकर बसना पड़ा। उस समय लगभग 354 गांवों के 52 हजार लोगों को विस्थापित किया गया था। इनमें से कुछ तो हरियाणा चले गए तो कुछ हिमाचल में अन्य जगहों पर बस गए।
लेकिन अपनी जन्म भूमि से दूसरी भूमि पर बसना बिलासपुर के लोगों के लिए आसान नहीं था…आज भी लोग उस दिन को याद करते है तो सबके चेहरे पर मायूसी छा जाती है…

दुखद पहलू यह है कि आज इतने वर्ष बीतने पर भी देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने वाले भाखड़ा विस्थापितों के लिए किसी भी सरकार ने कुछ नही किया। विस्थापितों की नई पीढ़ी पनप चुकी है एक परिवार से चार परिवार हो चुके हैं।

सरकार द्वारा दिए जमीन के टुकड़े छोटे हो गए हैं विकास के लिए भाखड़ा विस्थापित शहर आज भी तरस रहा है। जरूरत है तुरंत दो नए सेक्टर बनाने की।

अगर पंजाब के उग्रवाद पीड़ितों केंद्र से विशेष पैकेज मिल सकता है तो देश के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान करने वालों के लिए क्यों नहीं, कमी सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति की है। अब नही हो पाया तो कब….

साभार – वायरल फेसबुक

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