एप्पल न्यूज़, शिमला
कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार और स्टेट प्लानिंग बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी पठानिया ने कहा है कि अग्निवीर योजना युवाओं के साथ बड़ा भद्दा मजाक और सरासर धोखा है। आम सैनिक और अग्निवीर के बीच काफी भेदभाव किया जा रहा है।
अग्निवीर को शहीद का दर्जा न होने से युवाओं में केंद्र सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। अब युवा सेना में जाने के लिए उत्साहित नहीं हैं। युवाओं का सेना के प्रति क्रेज घट गया है।
चंद्र कुमार व पठानिया ने कहा कि युवा अब सेना में अपना भविष्य सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। सेना की भर्ती के लिए पहले युवा दिन-रात मेहनत करते थे।
सुबह और शाम के समय सड़कों के किनारे और खेल मैदानों में युवाओं को दौड़ लगाते और अभ्यास करते हुए देखा जाता था। अब इक्का-दुक्का युवा ही दिखते हैं।
भर्ती होने के बाद अग्निवीर के साथ पक्षपात हो रहा है, उन्हें आम सैनिकों के साथ नहीं रखा जाता, ना ही घुलने-मिलने देते हैं। उन्हें अलग बैरक में रखा जा रहा है, इससे अग्निवीर हतोत्साहित हैं।
कृषि मंत्री और स्टेट प्लानिंग बोर्ड उपाध्यक्ष ने कहा कि देश की सेवा करते वीरगति को प्राप्त होने पर अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं मिल रहा। न ही परिजन को एक्स सर्विसमैन और कैंटीन के लाभ मिल पा रहे।
अग्निवीर के परिवार को सिर्फ एक करोड़ रुपये ही मिलेंगे, जबकि आम सैनिक के साथ ऐसा नहीं है। शहीद के दर्जे के साथ सैनिक के परिवार को आर्थिक सहायता भी ज्यादा है, 15 साल की सेवा पूरी होने तक परिवार को पूरा वेतन और अनेक सुविधाएं हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश के भाजपा सांसदों को युवाओं को यह बताना चाहिए कि उनके भविष्य के साथ यह खिलवाड़ क्यों किया गया है।
हिमाचल प्रदेश से हज़ारों युवा सेना में भर्ती होते थे, कांगड़ा, हमीरपुर व मंडी जिला में तो हजारों सैनिक परिवार हैं, लेकिन अग्निवीर योजना लागू होने पर भाजपा सांसदों ने युवाओं की आवाज को संसद में एक बार भी नहीं उठाया।
उन्होंने चुप्पी साधे रखी। वे युवाओं का साथ देने के बजाय अग्निवीर योजना के फायदे गिनाते रहे। चंद्र कुमार व भवानी ने कहा, भाजपा को युवाओं को जवाब देना होगा कि सेना में युवाओं के लिए नौकरी के दरवाजे बंद क्यों किए गए।
शहीद का दर्जा देने में भेदभाव क्यों हो रहा है। क्योंकि, युवाओं और उनके परिवारों में अग्निवीर योजना को लेकर खासा रोष है।