एप्पल न्यूज, शिमला
वो कहते रहे हिमाचल में वीरभद्र सिंह की लिगेसी राजनीति को किसी भी करवट बदल सकती है। विधानसभा चुनाव आए श्रद्धांजलि स्वरूप जनता ने वोट दिए। सत्ता कांग्रेस को मिली लेकिन शासन सुक्खू के नसीब था। लिगेसी शब्द का खूब प्रयोग हुआ लेकिन कोई लाभ नहीं।
वीरभद्र सिंह 6 बार हिमाचल के मुख्य्मंत्री 3 बार केंद्रीय मंत्री रहे लेकिन मरने के बाद दो गज जमीन न मिली जिस पर उनकी प्रतिमा लगाई जा सके।
राजनीती खूब गरमाती गई और एक साल बाद खूब उथल पुथल हुई। 6 कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़ गए 3 निर्दलीय विधायकों ने साथ छोड़ दिया और अचानक बीच बजट सत्र में एक दिन सुबह सवेरे वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफे की घोषणा कर दी।
कारण बताया कि पिता की प्रतिमा के लिए दो गज जमीन नहीं मिल पा रही। ऐसी सरकार में एक पल भी नहीं रह सकता। चर्चा थी कि अगला इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष पद से वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह का आने वाला है। लेकिन तभी पार्टी हाईकमान के दबाव में विक्रमादित्य चुप बैठ गए मानो अचानक से सब कुछ ठीक हो गया।
अब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो वीरभद्र परिवार की पारंपरिक सीट मण्डी जहां से वीरभद्र सिंह और फिर 3 बार प्रतिभा सांसद सांसद रह चुकी थी वहां से विक्रमादित्य सिंह को टिकट दिया गया।
अब सामने तेज तर्रार अभिनेत्री भाजपा से कंगना रनौत थी। बॉलीवुड में अपनी कला का लोहा मनवा चुकी कंगना भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की गुड बुक्स में आने के साथ ही उनका आशीर्वाद लेकर आई थी।
फिल्मी अभिनय में महारत रखने वाली और महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार को सबक सिखा लौट आई कंगना पहले ही दिन से अटैकिंग मोड में नजर आई। विक्रमादित्य को हर मोर्चे पर घेरा।
भाजपा की विरासत और युवाओं का साथ शीर्ष नेतृत्व का आशीर्वाद अब पॉजिटिव गया और आज नतीजे आए तो कांग्रेस की “दो गज़ ज़मीन” फिल्म “सुपर फ्लॉप” हो गई जबकि भाजपा की ” कंगना मण्डी के अंगना” फिल्म ” सुपर हिट”… हो गई।
अब चर्चाएं इस सवाल को उठा रही है कि “वीरभद्र” सिंह की वो “लिगेसी” ….!