एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहां है कि हिमाचल सरकार जो सीबीएसई बोर्ड को आनन फानन में हिमाचल प्रदेश के 200 स्कूलों में लागू करने जा रही है वह न तो शिक्षार्थी हित में है और न ही बोर्ड के हित में है।
इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार और विभाग को पहले यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे बच्चे किस परिवेश से आते हैं और किस तरह से हैं और साथ ही जब तक हमारे बच्चों का लर्निंग टेबल उस क्लास तक नहीं होगा जिस क्लास में बच्चे पढ़ रहे हैं तब तक सीबीएसई पैटर्न को लागू करना खतरनाक साबित होगा।

उससे और भी बच्चों की संख्या सरकारी स्कूलों से कम हो जाएगी और दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड को भारी नुकसान हो जाएगा और इसकी अपनी आइडेंटिटी खत्म हो जाएगी जो की सरकार का अपना बोर्ड है।
संघ इसके विरोध में नहीं है लेकिन इसके लिए पहले मूलभूत ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है और आने वाले समय में इसे कुछ वर्षों बाद लागू किया जा सकता है अन्यथा इस तरह के ट्रायल शिक्षा विभाग में करने से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा।
इससे शिक्षकों को भी समझना मुश्किल होगा कि वह किस बोर्ड के साथ काम करें और किसके साथ नहीं और इससे शिक्षकों कोभी अधिक बोझ पड़ेगा।
इससे बेहतर यही रहेगा कि हिमाचल प्रदेश को शिक्षा बोर्ड को और मजबूत किया जाए और उसमें सुझाव देकर उसकी कार्य प्रणाली को चुस्त किया जाए और उसमें नए बदलाव लाये जाए।
उन्होंने कहा कि यह सुझाव हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को शीघ्र मुलाकात कर देगा।






