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विधानसभा में “काम रोको” प्रस्ताव, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरने के प्रयास, “निर्देश को छेड़ेंगे नहीं- दोषी को छोड़ेंगे नहीं”-CM

एप्पल न्यूज, धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गर्म बहस के साथ शुरू हुआ। सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव के माध्यम से प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरने का प्रयास किया।

इस दौरान सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई, जिससे विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

विपक्ष ने कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए कई मुद्दों को सदन में उठाया, जिन पर सत्ता पक्ष ने जोरदार बचाव किया।

विपक्ष के आरोप:
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने काम रोको प्रस्ताव की शुरुआत करते हुए सुक्खू सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सत्ता में आते ही नई आबकारी नीति के तहत भ्रष्टाचार किया।

शर्मा ने कहा कि इस नीति के माध्यम से छह जिलों में छोटी यूनिटों को हटाकर बड़ी यूनिटें बनाई गईं, ताकि चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जा सके।

उन्होंने किन्नौर जिले में शोंगटोंग परियोजना के लिए पटेल कंपनी को 162 करोड़ रुपये का अवांछित लाभ देने का भी आरोप लगाया।

इसके अतिरिक्त, नादौन में 2.60 लाख रुपये की जमीन को 6.72 करोड़ रुपये में एचआरटीसी के लिए खरीदने का मामला भी उठाया गया।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने जानबूझकर हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के 18 होटलों को बंद करने की साजिश रची ताकि इन होटलों को बेचा जा सके। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश में आई आपदा के नाम पर भी भ्रष्टाचार हुआ है।

भाजपा विधायक बलबीर वर्मा और सुरेंद्र शौरी ने अन्य मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि सड़कों, पाइपलाइनों और पेयजल योजनाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। उन्होंने दावा किया कि सड़क निर्माण और इंटरलॉकिंग टाइल्स पेवमेंट जैसे कामों में घोटाले हुए हैं।

सत्ता पक्ष का बचाव:
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस विधायकों ने भाजपा पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी ने कहा कि भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में ठेकेदारों के शराब लाइसेंस का नवीनीकरण करके आबकारी नीति का दुरुपयोग किया।

उन्होंने दावा किया कि मौजूदा सरकार ने नई आबकारी नीति लागू कर 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया।

कांग्रेस के आशीष बुटेल ने विपक्ष को दिशाहीन और मुद्दाविहीन बताते हुए कहा कि भाजपा के पास ठोस तथ्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बजट सत्र के दौरान सरकार को गिराने के नाम पर भ्रष्टाचार फैलाने का प्रयास किया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने औद्योगिक भूखंडों को कौड़ियों के भाव बेचा और कर्ज लेकर सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार किया।

गंभीर आरोप-प्रत्यारोप:
भाजपा विधायक सत्तपाल सिंह सत्ती ने सरकार को चेताया कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश सचिवालय तक भ्रष्टाचार पहुंच चुका है, जहां आईएएस अधिकारियों पर पैसे लेने के आरोप लग रहे हैं।

सत्ती ने ऊना जिले में अवैध खनन और कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में ओटीएस के नाम पर चहेतों को लाभ पहुंचाने का भी मुद्दा उठाया।

इसके जवाब में कांग्रेस ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में बड़ी मात्रा में अनियमितताएं कीं और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया। कांग्रेस ने यह भी कहा कि भाजपा के आरोप बेबुनियाद हैं और सरकार के खिलाफ किसी भी मामले में भ्रष्टाचार साबित नहीं हुआ है।

राजनीतिक माहौल:
सत्र में दोनों पक्षों के बीच भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप हुए। विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए राज्यपाल को सौंपे गए आरोप पत्र का सहारा लिया, जबकि सत्ता पक्ष ने अपनी उपलब्धियों को गिनाते हुए विपक्ष के आरोपों को खारिज किया।

बहस के दौरान सत्ता पक्ष ने यह दावा किया कि उनकी नीतियों से प्रदेश को आर्थिक लाभ हुआ है, जबकि विपक्ष ने इसे भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।

निष्कर्ष:
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का यह सत्र प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजनीतिक संघर्ष का मैदान बन गया है। विपक्ष ने सुक्खू सरकार को घेरने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन सत्ता पक्ष ने अपने बचाव में जोरदार तरीके से पलटवार किया।

हालांकि, इस बहस का परिणाम क्या होगा, यह देखना अभी बाकी है, क्योंकि स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा अभी जारी है। यह साफ है कि भ्रष्टाचार का मुद्दा आगामी राजनीतिक रणनीतियों का केंद्र रहेगा।

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