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जंगली मुर्गा कांड- भाजपा ने मुर्गे के पोस्टर लेकर विधानसभा में की नारेबाज़ी, मुर्गा मारने व परोसने वालों पर हो FIR

एप्पल न्यूज, धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश में “मुर्गा प्रकरण” ने राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा और छह अन्य व्यक्तियों, जिनमें कुछ पत्रकार भी शामिल हैं, पर एफआईआर दर्ज होने के बाद यह मुद्दा गरमाया हुआ है।

इसके विरोध में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने तपोवन विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन की मुख्य बातें:

भाजपा विधायकों ने “सुक्खू भैया, जंगली मुर्गा किसने खाया?” जैसे नारे लगाए।

सभी विधायक हाथों में मुर्गे की तस्वीर वाले पोस्टर लेकर पहुंचे।

एफआईआर को “शर्मनाक” बताते हुए भाजपा ने वन्यजीव अधिनियम के तहत निष्पक्ष जांच की मांग की।

हिमाचल प्रदेश में “मुर्गा प्रकरण” ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के कुपवी दौरे के दौरान आयोजित रात्रि भोज के मेन्यू में जंगली मुर्गे का नाम होने का मामला सामने आया।

धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा समेत छह अन्य लोगों, जिनमें कुछ पत्रकार भी शामिल हैं, पर एफआईआर दर्ज होने के बाद यह प्रकरण और अधिक गरमा गया। इस मामले को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है।

विधानसभा परिसर में विरोध प्रदर्शन
गुरुवार को विपक्षी दल भाजपा के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया।

सभी विधायक हाथों में मुर्गे की तस्वीर वाले पोस्टर लेकर पहुंचे और नारे लगाए, जिनमें “सुक्खू भैया, सुक्खू भैया, जंगली मुर्गा किसने खाया?” जैसे व्यंग्यात्मक नारे शामिल थे।

विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार के रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए एफआईआर को “शर्मनाक” बताया और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया।

विपक्ष के आरोप और सरकार पर निशाना
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के डिनर के मेन्यू में 12वें नंबर पर जंगली मुर्गे का उल्लेख था।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करने वाले विधायक और पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करना लोकतंत्र का मजाक उड़ाने जैसा है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार का यह कदम न केवल विपक्ष को दबाने की कोशिश है, बल्कि पत्रकारों की स्वतंत्रता पर भी कुठाराघात है।

उन्होंने यह भी कहा कि जंगली मुर्गा वन्यजीव अधिनियम के तहत संरक्षित जीवों की श्रेणी में आता है। ऐसे में सरकार को इस मामले की जांच कर स्पष्ट करना चाहिए कि डिनर में जंगली मुर्गा परोसा गया या नहीं। उन्होंने एफआईआर को तुरंत रद्द करने और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।

विवाद की जड़

इस विवाद की जड़ में वह वीडियो है, जिसमें मुख्यमंत्री के डिनर का मेन्यू दिखाया गया था। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, जिसके बाद सरकार ने विधायक और कुछ पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज की।

विपक्ष का आरोप है कि सरकार आलोचना से बचने के लिए पत्रकारों और नेताओं पर कार्रवाई कर रही है।

राजनीतिक सरगर्मी तेज
“मुर्गा प्रकरण” ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में गहराई से ध्रुवीकरण कर दिया है। जहां विपक्ष इसे सरकार की विफलता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहा है, वहीं सरकार इसे विपक्ष का राजनीतिक ड्रामा करार दे रही है।

इस प्रकरण ने न केवल राज्य विधानसभा को प्रभावित किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार और विपक्ष ऐसे मुद्दों पर जनता के हितों को प्राथमिकता दे सकते हैं या यह महज राजनीतिक लाभ लेने का माध्यम बनकर रह जाएगा।

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