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किन्नौर के रकच्छम में पहली बार “हिम मूर्तिकला” प्रशिक्षण शिविर में सिखाई “बर्फ से मूर्तियां” बनाने की कला

एप्पल न्यूज, किन्नौर

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के रकच्छम में पहली बार हिम मूर्तिकला (Snow Sculpture) प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसका समापन 14 मार्च को हुआ।

इस शिविर का उद्देश्य स्थानीय कलाकारों और युवाओं को बर्फ से मूर्तियां बनाने की कला सिखाना था, जिससे न केवल उनकी कलात्मकता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश सरकार के राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

इस प्रशिक्षण शिविर ने किन्नौर जिले में एक नई पहल की शुरुआत की है। हिमाचल प्रदेश सरकार इस प्रयास को आगे बढ़ाकर राज्य में पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना चाहती है।

यदि इस तरह के आयोजन नियमित रूप से होते हैं, तो हिमाचल प्रदेश को एक प्रमुख स्नो आर्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा सकता है


प्रमुख बातें:

1. किन्नौर में पहली बार हुआ हिम मूर्तिकला प्रशिक्षण

  • यह किन्नौर जिले में पहली बार आयोजित बर्फ की मूर्तियां बनाने पर केंद्रित प्रशिक्षण शिविर था।
  • इस शिविर का आयोजन जिला प्रशासन किन्नौर द्वारा किया गया, जिसे राज्य सरकार का भी सहयोग प्राप्त था।
  • मंत्री ने इस अनूठे आयोजन के लिए जिला प्रशासन की सराहना की और इसे भविष्य में और व्यापक रूप से आयोजित करने की बात कही।

2. स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर

  • हिम मूर्तिकला पर्यटन और रचनात्मकता को बढ़ावा देने का एक माध्यम है।
  • मंत्री ने कहा कि इस कला के माध्यम से स्थानीय लोग रोजगार प्राप्त कर सकते हैं और पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
  • स्नो स्कल्पचर फेस्टिवल जैसे कार्यक्रम भविष्य में किन्नौर को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बना सकते हैं।

3. प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी होंगे ऐसे आयोजन

  • हिमाचल प्रदेश के अन्य बर्फीले इलाकों में भी ऐसे ही प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
  • मंत्री ने यह भी कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और हिमाचल प्रदेश को स्नो आर्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा सकता है।

किन्नौर में पर्यटन और साहसिक खेलों को मिलेगा बढ़ावा

  • राज्य सरकार किन्नौर और हिमाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों में साहसिक खेलों (Adventure Sports) को बढ़ावा देने की योजना बना रही है।
  • इस दिशा में सरकार आइस हॉकी, आइस स्केटिंग, रिवर राफ्टिंग और ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है।
  • मंत्री ने कहा कि सरकार स्नो टूरिज्म को बढ़ाने के लिए कई नई योजनाएं लागू करने पर विचार कर रही है।

प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने वाले प्रतिभागी और प्रशिक्षक

  • इस प्रशिक्षण शिविर में 26 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
  • प्रतिभागी विभिन्न संगठनों से थे, जिनमें शामिल हैं:
    • भारतीय सेना (Indian Army)
    • भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
    • हिमाचल प्रदेश पुलिस
    • महिला मंडल रकच्छम
    • युवक मंडल रकच्छम
  • इन प्रतिभागियों को अभ्युदय दल के अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। प्रमुख प्रशिक्षक थे:
    • सुनील कुसवाहा
    • रवि प्रकाश
    • रजनीश वर्मा
    • मुहम्मद सुल्तान आलम

समापन समारोह में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के अलावा कई महत्वपूर्ण अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनमें शामिल हैं, उपायुक्त किन्नौर डॉ. अमित कुमार शर्मा – उन्होंने मंत्री को इस प्रशिक्षण शिविर की गतिविधियों की जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक अभिषेक शेखर, एपीएमसी शिमला-किन्नौर के निदेशक एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष उमेश नेगी, किनफैड के अध्यक्ष चंद्रगोपाल नेगी, राज्य सहकारी बैंक के निदेशक पिताम्बर दास, जिला परिषद सदस्य हितैष नेग, महिला कांग्रेस अध्यक्षा सरोज नेगी, निचार ब्लॉक कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बीर सिंह नेगी, पूह ब्लॉक कांग्रेस समिति के अध्यक्ष प्रेम कुमार नेग, जिला इंटक अध्यक्ष मान चंद नेगी, रकच्छम ग्राम पंचायत के प्रधान सुशील नेगी, निदेशक किनफैड सचिन नेगी, उपमंडलाधिकारी कल्पा डॉ. मेजर शशांक गुप्ता, तहसीलदार सांगला हरदयाल सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सोनम नेगी, जिला कृषि अधिकारी ओम प्रकाश बंसलएपीएमसी के सचिव पवन कुमार सैणी भी मौजूद रहे।


किन्नौर में हिम मूर्तिकला की संभावनाएं

किन्नौर जिला हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। यहां बर्फ की मूर्तियों का एक नियमित आयोजन (Snow Sculpture Festival) किया जाए, तो यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है।

हिम मूर्तिकला के लाभ:

  1. पर्यटन को बढ़ावा – बर्फ की मूर्तियों का आयोजन पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
  2. स्थानीय कलाकारों के लिए रोजगार – स्थानीय युवाओं को एक नई कला में दक्षता प्राप्त होगी, जिससे वे स्नो आर्टिस्ट के रूप में करियर बना सकते हैं
  3. स्नो टूरिज्म का विस्तार – हिमाचल प्रदेश में स्नो टूरिज्म को एक नई पहचान मिलेगी।
  4. अंतरराष्ट्रीय पहचान – यूरोप और अमेरिका के कई देशों में स्नो फेस्टिवल प्रसिद्ध हैं। इसी तरह का आयोजन भारत में भी संभव है।

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