एप्पल न्यूज, शिमला
कांग्रेस पार्टी ने अपने संगठन में एक महत्वपूर्ण फेरबदल किया है, जिसके तहत रजनी पाटिल को हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है, जबकि राजीव शुक्ला को इस पद से हटा दिया गया है।
इस बदलाव को हिमाचल प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।
रजनी पाटिल महाराष्ट्र से ताल्लुक रखती हैं और कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं। इससे पहले, वह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की प्रभारी थीं।
उन्होंने इन क्षेत्रों में पार्टी संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में होती है और वह लंबे समय से कांग्रेस संगठन से जुड़ी हुई हैं।

उनके अनुभव को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी है।
राजीव शुक्ला की विदाई
राजीव शुक्ला 2020 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी थे। हालांकि, राज्य में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद पार्टी के अंदर गुटबाजी और असंतोष की खबरें लगातार सामने आ रही थीं।
हाल ही में, हिमाचल प्रदेश में छह कांग्रेस विधायकों के बागी होने और राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग जैसी घटनाओं ने कांग्रेस नेतृत्व को परेशान कर दिया था।
माना जा रहा है कि इन परिस्थितियों के चलते हाईकमान ने राजीव शुक्ला को हटाने का फैसला किया।
हिमाचल में कांग्रेस के सामने चुनौतियाँ
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार जरूर है, लेकिन पार्टी में अंदरूनी कलह स्पष्ट रूप से दिख रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बीच मतभेद भी किसी से छिपे नहीं हैं।
इसके अलावा, छह कांग्रेस विधायकों के निलंबन के बाद पार्टी के लिए संकट और बढ़ गया है।
ऐसे में, पार्टी को एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता थी, जिसे ध्यान में रखते हुए रजनी पाटिल को प्रभारी नियुक्त किया गया है।
कांग्रेस के अन्य संगठनात्मक बदलाव
कांग्रेस ने सिर्फ हिमाचल ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी प्रभारियों में बदलाव किए हैं।
- भूपेश बघेल को पंजाब का महासचिव नियुक्त किया गया है।
- सैयद नासिर हुसैन को जम्मू-कश्मीर का महासचिव बनाया गया है।
रजनी पाटिल के नेतृत्व में हिमाचल कांग्रेस को मजबूती देने की चुनौती होगी। पार्टी को आंतरिक कलह से निपटते हुए आगामी लोकसभा चुनावों के लिए खुद को तैयार करना होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का यह फैसला राज्य की राजनीति को कैसे प्रभावित करता है।