एप्पल न्यूज, शिमला
राजनीती हमेशा ही चौंकाने वाली होती है। कब क्या हो जाए कुछ पता नहीं। यही स्थिति आजकल हिमाचल कांग्रेस की है। जब से सरकार बनी पार्टी हाशिए पर चली गई। यूं तो प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन न कार्यकारिणी, न कोई कांग्रेस नेता न ही कार्यकर्ता, सभी नदारद थे।
सरकार बनने पर सभी नेता टकटकी लगाए बैठे थे कि सरकार में उन्हें भी जगह मिलेगी और सरकार बनाने में की गई मेहनत के बदले उन्हें भी मलाई मिलेगी लेकिन अढ़ाई वर्ष बीतने को हो गए लेकिन मलाई नहीं मिली। पद भी सिर्फ उन्हें मिले जो मुख्यमंत्री सुक्खू के बेहद करीबी थे, बाकी सब देखते रह गए।
अब समय के साथ जब देशभर में कांग्रेस शून्य की जा रही है तो पार्टी हाईकमान को हिमाचल की याद आई और प्रभारी राजीव शुक्ला को बदल दिया। अब कमान रजनी पाटिल को सौंपी जिन्होंने शिमला पहुंचकर पार्टी और सरकार के सभी नेताओं से बात की। बड़े नेताओं के घर और कार्यालय जाकर नब्ज टटोली और रिपोर्ट हाईकमान को दी।

रजनी पाटिल ने है कमान को प्रदेश की स्थिति बताई और नए अध्यक्ष के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। नेताओं कार्यकर्ताओं को फिर से उम्मीद बंधी कि शायद अब उन्हें भी तरजीह मिलेगी। वर्तमान अध्यक्ष अपने पद पर डटे रहने के लिए बेकरार है लेकिन पार्टी किसी युवा को आगे लाना चाहती है। ऐसे में किसी मंत्री को “ढाईया” भी लग सकता है यानी उन्हें अढ़ाई वर्ष के भीतर मंत्री पद से हटाकर पार्टी अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए नए नाम की चर्चा जोरों पर है। कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दी है, जिसमें कैबिनेट मंत्रियों, युवा विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल हैं।
इससे संकेत मिलता है कि प्रतिभा सिंह की जगह नया अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, नए अध्यक्ष के चयन में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का ध्यान रखा जाएगा। शिमला या मंडी संसदीय क्षेत्र से अनुसूचित जाति के चेहरे के विकल्प तलाशे जा रहे हैं, जिनमें आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा और विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार के नाम प्रमुख हैं।
इसके अलावा, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह राणा, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं।
हालांकि, यह देखा गया है कि कैबिनेट मंत्री संगठन की कमान संभालने के लिए मंत्री पद छोड़ने में संकोच कर सकते हैं। यदि कोई मंत्री संगठन की जिम्मेदारी स्वीकार करता है, तो उसे भविष्य में बड़े अवसर मिल सकते हैं, जैसा कि जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के उदाहरण से स्पष्ट है।
युवा विधायकों में फतेहपुर के भवानी पठानिया, धर्मपुर के चंद्र शेखर और ठियोग के कुलदीप राठौर के नाम भी चर्चा में हैं। वरिष्ठ नेताओं में कौल सिंह ठाकुर, रामलाल और आशा कुमारी के नाम सामने आ रहे हैं।
इन सभी संभावनाओं के मद्देनजर, कांग्रेस का अगला अध्यक्ष एक चौंकाने वाला चेहरा हो सकता है।