एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से हुई, लेकिन यह सत्र सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गहमागहमी का मंच बन गया। विपक्ष ने अभिभाषण को “झूठा दस्तावेज” करार देते हुए सरकार पर नाकामी के आरोप लगाए, जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाजपा पर प्रदेश की आर्थिक दुर्दशा के लिए दोष मढ़ते हुए अपनी सरकार के नीतिगत बदलावों को उपलब्धि बताया।
विपक्ष के आरोप: उपलब्धि शून्य सरकार
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्यपाल के अभिभाषण को तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि सुक्खू सरकार के पास दो साल में बताने के लिए कोई ठोस उपलब्धि नहीं है।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि –
- पुरानी योजनाओं का ही प्रचार
- सरकार के पास केवल केंद्र द्वारा संचालित योजनाओं और पूर्व भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं के अलावा कुछ भी नया नहीं है।
- फिर भी, सरकार केंद्र सरकार के प्रति आभार जताने के बजाय उसके सहयोग न करने का आरोप लगा रही है।
- वृद्धा पेंशन और वित्तीय अनियमितताएं
- प्रदेश के बुजुर्गों को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन पिछले छह महीनों से नहीं दी गई।
- हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि वृद्धजन, विधवाएं और दिव्यांग पेंशन के लिए महीनों से इंतजार कर रहे हैं।
- झूठे विकास के दावे
- सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में 69 स्वास्थ्य संस्थानों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस कर दिया गया है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा कोई बदलाव नहीं दिख रहा।
- भाजपा विधायकों ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्रों में ऐसा कोई अस्पताल नहीं जहां वादे के अनुसार एमआरआई मशीनें या विशेषज्ञ डॉक्टर नियुक्त किए गए हों।
- जनता में निराशा का माहौल
- सरकार के गलत निर्णयों और नीतिगत अस्थिरता के कारण प्रदेश में हर वर्ग परेशान है – कर्मचारी, किसान, व्यापारी, छात्र और आम जनता।
- मुख्यमंत्री सिर्फ अपनी सरकार बचाने में लगे हैं, जबकि जनता समस्याओं से जूझ रही है।

मुख्यमंत्री का पलटवार: भाजपा की विरासत में मिली आर्थिक बदहाली
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा पर प्रदेश को आर्थिक संकट में छोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि –
1. प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर भाजपा जिम्मेदार
- कांग्रेस सरकार जब सत्ता में आई, तो उसे ₹75,000 करोड़ का कर्ज और ₹10,000 करोड़ की देनदारियां विरासत में मिलीं।
- पूर्व भाजपा सरकार ने अंधाधुंध कर्ज लेकर वित्तीय कुप्रबंधन किया, जिसके कारण कांग्रेस सरकार को आर्थिक सुधारों के लिए कड़े फैसले लेने पड़ रहे हैं।
- जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य को भारी राजस्व नुकसान हुआ। केंद्र सरकार से कंपनसेशन पहले मिला, लेकिन भविष्य में इसका संकट बना रहेगा।
2. शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
- शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल पहले 21वें स्थान पर था, लेकिन सरकार ने नीतिगत बदलाव कर इसे पहले स्थान पर लाने का दावा किया।
- स्वास्थ्य संस्थानों को आधुनिक बनाने का काम किया गया है और 69 अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम तथा एमआरआई मशीनें लगाई गई हैं।
- भाजपा सरकार के समय प्रदेश में न क्वालिटी एजुकेशन थी, न क्वालिटी हेल्थ सिस्टम, जिसे कांग्रेस सरकार सुधार रही है।
3. मंदिरों से अंशदान लेने पर भाजपा का दोहरा मापदंड
- भाजपा ने मंदिरों के दान को सरकारी योजनाओं में उपयोग करने पर सवाल उठाया, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसके जवाब में कहा कि –
- कोविड काल में भाजपा सरकार ने मंदिरों से 28 करोड़ रुपये लिए थे, तब इसे पुण्य कहा गया।
- अब कांग्रेस सरकार धार्मिक स्थलों से जनता की भलाई के लिए योगदान ले रही है, तो इसे पाप बताया जा रहा है।
4. हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य
- कांग्रेस सरकार 2027 तक हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लिए काम कर रही है।
- राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए नई नीतियां और योजनाएं लागू की जा रही हैं।
- प्रदेश केंद्र से “खैरात” नहीं मांग रहा, बल्कि संविधान के तहत अपने अधिकारों की मांग कर रहा है।
बजट सत्र की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली।
- भाजपा सरकार पर झूठे दावे करने और जनता को गुमराह करने का आरोप लगा रही है, तो
- कांग्रेस पूर्व भाजपा सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन और कर्ज बढ़ाने का दोष मढ़ रही है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार अपने आर्थिक सुधारों को लेकर क्या ठोस योजनाएं पेश करती है और विपक्ष किस तरह से उसे घेरता है।