एप्पल न्यूज, नालागढ़
हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नगरी नालागढ़ में हाल ही में हुई एक संगठित लूटपाट की घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी।
यह घटना 24 मार्च की रात को उस समय हुई, जब सैणीमाजरा निवासी ओम प्रकाश अपनी कन्फैक्शनरी की दुकान में मौजूद थे।
तभी तीन अज्ञात नकाबपोश लुटेरे दुकान में घुस आए और तलवार व देसी कट्टे की नोक पर लगभग 35 हज़ार रुपये की नकदी लूट कर फरार हो गए। इस दुस्साहसी वारदात के बाद इलाके में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया।

स्थानीय लोगों में पुलिस की कार्यशैली को लेकर रोष भी देखा गया, जिससे प्रशासन पर मामले को जल्द सुलझाने का दबाव बढ़ा।
इस गंभीर अपराध के मद्देनज़र पुलिस थाना नालागढ़ में आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 331 (4), 3 (5) बीएनएस और आम्र्स एक्ट की धाराओं 25, 54, 59 के तहत मामला दर्ज किया गया।
प्रारंभिक जांच में पुलिस के पास अपराधियों की पहचान के लिए कोई ठोस सुराग नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने आधुनिक तकनीकी उपायों का सहारा लिया।
सीसीटीवी फुटेज का गहन विश्लेषण किया गया, संदिग्ध मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स खंगाली गईं, और स्थानीय सूचना तंत्र को सक्रिय किया गया।
पुलिस को पहली बड़ी सफलता 28 मार्च को मिली, जब जुझार सिंह (22) निवासी तेलीवाल को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद जांच का दायरा बढ़ाते हुए पुलिस ने दो और आरोपियों की पहचान कर ली।
इनमें एक हरविंदर सिंह (30) निवासी टिब्बा टपरियां थाना नूरपुर जिला रूपनगर (पंजाब) और दूसरा सुखविंदर सिंह उर्फ काला, निवासी तेलीवाल, नालागढ़ (सोलन) है।
दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और इनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की भी जांच की जा रही है।
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि तीनों आरोपी पहले भी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं और उनका उद्देश्य नजदीकी दुकानों को लूट का निशाना बनाना था।
एसपी बद्दी विनोद धीमान ने प्रेस को बताया कि लूटपाट की इस घटना में शामिल सभी तीनों मुख्य आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है।
उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई पुलिस टीम की सूझबूझ, तकनीकी दक्षता और स्थानीय सहयोग से संभव हो पाई।
फिलहाल मामले की विस्तृत जांच जारी है और पुलिस अन्य संभावित संलिप्त व्यक्तियों की भी तलाश कर रही है।
यह घटना न केवल पुलिस की कार्यकुशलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि अपराध कितना ही संगठित क्यों न हो, कानून के लंबे हाथ अंततः अपराधियों तक पहुंच ही जाते हैं।






