एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के पहले दिन सरकार ने विपक्षी भाजपा की प्राकृतिक आपदा पर चर्चा की मांग को स्वीकार लिया। करीब 25 मिनट तक नियमों के झमेले में चर्चा करने पर निकल गए।
अंत में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाजपा विधायक विक्रम ठाकुर के आग्रह को स्वीकारते हुए स्थगत प्रस्ताव के तहत सभी कार्य लंबित करके चर्चा करने की सहमति प्रदान की।
इससे पहले दोनों ओर से नियम-130 व नियम-67 के तहत चर्चा करने की बात होती रही। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि सरकार प्राकृतिक आपदा के गंभीर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हिमाचल लगातार हर साल भारी आपदाओं का सामना कर रहा है। वर्ष 2023 और 2024 में भयंकर तबाही हुई। इस बार 2025 में तो नुकसान की शुरूआत प्री-मानसून से ही हो गई थी।

उन्होंने कहा कि इस बार की आपदा ने लोगों की जिंदगी को हिला कर रख दिया। 30 जून की रात भारी बारिश ने जबरदस्त तबाही मचाई।
कई लोग रात को अपने घरों में चैन की नींद सोए थे, लेकिन सुबह उठते ही उनके घर, खेत और बगीचे सब मलबे में तब्दील हो चुके थे।
जयराम ठाकुर ने बताया कि मंडी जिला, विशेषकर सराज विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। एक ही रात में 42 लोगों की मौत हुई, जिसमें से 29 लोग सराज विधानसभा क्षेत्र के थे और यह संख्या अब बढ़कर 31 हो गई है।
नाचन विधानसभा क्षेत्र में 9 और करसोग विधानसभा क्षेत्र में 3 लोगों की मौत हुई। जबकि कुल्लू, चंबा, किन्नौर और ऊना जिलों में भी तबाही हुई। कई घर जमींदोज हो गए, सड़कें, बिजली और पेयजल योजनाएं पूरी तरह से ठप हो गई।
उन्होंने कहा कि सराज क्षेत्र में आज भी 500 से ज्यादा परिवार किराए के मकानों, सरायों और रिश्तेदारों के घरों में शरण लिए हुए हैं, जो बेहद चिंता का विषय है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार की आपदा अलग किस्म की थी, क्योंकि पहाड़ 12 से 13 हजार फीट की ऊंचाई से दरके और जहां न तो कोई सड़क थी, न डंपिंग साइट और न कोई निर्माण कार्य।
उन्होंने सरकार पर राहत कार्यों में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया और कहा कि लोक निर्माण विभाग को सराज में 500 करोड़ का नुकसान हुआ, लेकिन सरकार ने मात्र 2 करोड़ की सहायता दी है। उन्होंने सरकार से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को प्राथमिकता देने की मांग की।
इस पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जैसे ही आपदा की जानकारी मिली, वे स्वयं मौके पर पहुंचे। “30 जून को नुकसान का पता चलते ही मैं अगले दिन धर्मपुर गया और फिर को हेलीकाप्टर से सराज में राशन डलवाया। वहां पहुंचने वाला पहला व्यक्ति मुख्यमंत्री था।
इसके बाद एसपी, डीसी, मंत्री, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें सक्रिय रहीं। हमने राहत और बचाव में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी।
उन्होंने आगे बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि विपक्ष के नेता से भी लगातार संपर्क बनाए रखें और उन्हें हेलीकाप्टर सुविधा भी उपलब्ध कराई जाए। सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार ने हर संभव मदद पहुंचाई और किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती।
उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्षी नेता केवल अपने हल्के में सक्रिय रहे, जबकि सरकार ने पूरे प्रदेश में प्रभावित क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्यों को प्राथमिकता दी।
इससे पहले मानसून सत्र की शुरूआत पूर्व विधायक गणेश दत्त भरवाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। इसके साथ-साथ प्राकृतिक आपदा में जीवन गंवाने वाले लोगों को भी श्रद्धांजलि दी गई।
उन्होंने आग्रह किया कि प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण जान गंवाने वाले सभी लोगों को भी इस शोक प्रस्ताव में शामिल किया जाए।
सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में शोक प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि गणेश दत्त भरवाल का 20 जुलाई 2025 को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जन्म 6 फरवरी 1946 को जिला ऊना के अंब क्षेत्र में हुआ था।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 में युवा कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के रूप में की। 1978 में वह ग्राम पंचायत सदस्य बने और 1981 में जिला कांग्रेस समिति के सदस्य और 1985 में उन्हें पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित किया गया।







