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नरेश चौहान ने भाजपा नेताओं द्वारा आपदा के समय राजनीतिक लाभ के लिए भ्रामक बयानबाजी करने पर की कड़ी निंदा

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एप्पल न्यूज, शिमला

मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने राज्य भाजपा नेताओं द्वारा आपदा के समय राजनीतिक लाभ के लिए भ्रामक बयानबाजी करने पर कड़ी निंदा की है। उन्होंने आज यहां कहा कि इस कठिन समय में जब पूरा प्रदेश आपदा से बुरी तरह प्रभावित है, विपक्ष और केंद्रीय भाजपा सरकार को जिम्मेदारी के साथ बात करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे आरोप लगाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि जनता को भ्रमित करने वाला भी है।
उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से राज्य सरकार आपदा प्रभावितों को राहत प्रदान करने में लगी हुई है, लेकिन भाजपा नेता लगातार भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं और राज्य सरकार पर वित्तीय सहायता न देने और पुनर्वास कार्यों को गंभीरता से न लेने का आरोप लगा रहे हैं।
नरेश चौहान ने भाजपा नेताओं को आपदा जैसी गंभीर परिस्थिति में राजनीति करने से परहेज करने को कहा। उन्होंने विपक्ष को वर्तमान में राज्य सरकार के साथ मिलकर केंद्र से उदार वित्तीय सहायता की मांग करने को प्राथमिकता देने की सलाह दी।

उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश सरकार के मंत्रियों और नेताओं द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा न करने के आरोपों को नकारते हुए कहा कि विपक्ष को शायद ज्ञात नहीं है कि राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने चंबा से भरमौर तक पैदल यात्रा कर प्रभावित क्षेत्रों से मणिमहेश यात्रियों को सुरक्षित निकालने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंतिम यात्री की वापिसी तक अपने कर्तव्य का निर्वहन किया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी अन्य मंत्रीगण ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।

विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर भूल गए कि मुख्यमंत्री ने सराज में रात्रि ठहराव कर उनके साथ राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी की। इसके अलावा कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह और सभी विधायक भी अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राज्य में आपदा की भयावह स्थिति का व्यक्तिगत रूप से दौरा करने के निर्णय की सराहना करती है। उन्होंने कहा कि इस आपदा में 419 लोगों ने अपनी जान गंवाई है और हजारों लोग बेघर हुए हैं।

वर्ष 2023 में लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान और वर्ष 2025 में लगभग 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जिसके मुकाबले में केन्द्र द्वारा जारी की गई सहायता राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
नरेश चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य का दौरा किया और प्रभावित क्षेत्रों के लिए 1,500 करोड़ रुपये की राशि की घोषणा की, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह राशि योजना विशेष के रूप में है या अनुदान के रूप में।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अभी तक इस राशि के संबंध में कोई अधिसूचना नहीं मिली है। अन्य चार केंद्रीय मंत्री भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने आए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनके मंत्रालयों ने कोई राशि जारी की या केवल मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए आए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2023 में अपने संसाधनों से 4,500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज वितरित किए और वर्ष 2025 में अब तक 397 करोड़ रुपये राहत एवं पुनर्वास के लिए जारी किए गए हैं।

सभी जिलों में 256.96 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, जिसमें जिला मंडी को 42.87 करोड़ रुपये, जिला कांगड़ा को 32.75 करोड़ रुपये और जिला शिमला को 27.38 करोड़ रुपये मिले। अन्य जिलों में चंबा को 26.85 करोड़, कुल्लू 21.34 करोड़ रुपये, सिरमौर 19.29 करोड़ रुपये, सोलन 18.24 करोड़ रुपये, ऊना 16.74 करोड़ रुपये, हमीरपुर 15.80 करोड़ रुपये, बिलासपुर 13.89 करोड़ रुपये लाहुल-स्पीति 11.43 करोड़ रुपये और किन्नौर को 10.39 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों, नगर निगम, अग्निशमन सेवा और होम गार्ड्स को राहत एवं पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने के लिए 140 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
राज्य सरकार ने राहत मैनुअल में संशोधन कर मुआवजे की राशि बढ़ाई है।

पूरी तरह क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवजा 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया, आंशिक क्षतिग्रस्त घरों के लिए 12,500 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये, दुकानों और ढाबों के लिए 10,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये, पशुशालाओं के लिए 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया है।

किरायेदारों के नुकसान की भरपाई 50,000 रुपये और भवन मालिकों के लिए 70,000 रुपये निर्धारित किए गए। दुधारू पशुओं के लिए 37,500 रुपये से बढ़ाकर 55,000 रुपये, जबकि बकरियों, सूअरों, भेड़ों और बकरों के लिए 4,000 रुपये से बढ़ाकर 9,000 रुपये किए गए। कृषि फसलों के नुकसान के लिए भी मुआवजे में वृद्धि की गई है।
उन्होंने सांसद कंगना रणौत के केन्द्र सरकार द्वारा हिमाचल के आपदा प्रभावितों को 10,000 करोड़ रुपये जारी करने के बयान को खारिज किया। उन्होंने कंगना रणौत और भाजपा नेताओं को आपदा के समय राजनीतिक आरोप लगाने की बजाय इस कठिन समय में राज्य सरकार के साथ मिलकर केन्द्र से वित्तीय सहयोग दिलाने में मदद करने को आगे आने का आग्रह किया।
उन्होंने भाजपा नेताओं को प्रदेश सरकार के खिलाफ भ्रामक बयानबाजी करने के बजाय ठोस प्रमाण प्रस्तुत करने की सलाह दी। उन्होंने विपक्ष से केवल सुर्खियों में बने रहने के लिए अफवाहें फैलाकर लोगों को भ्रमित न करने और आपदा प्रभावितों की सहायता करने के लिए सरकार का सहयोग का आग्रह किया।

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