एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने चर्चित युग हत्याकांड मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने शिमला की निचली अदालत द्वारा 2018 में सुनाई गई फांसी की सजा को बदलकर उम्रकैद कर दिया है।
यह सजा दो दोषियों चंदर शर्मा और विक्रांत बख्शी के लिए उम्रकैद में बदली गई है, जबकि तीसरे आरोपी तेजिंदर पाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
गौरतलब है कि 14 जून 2014 को शिमला के रामबाजार से चार वर्षीय मासूम युग का अपहरण कर तीन करोड़ पचास लाख रुपये की फिरौती मांगी गई थी।
दो साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी क्षेत्र के पेयजल टैंक से उसका कंकाल बरामद हुआ था। आरोपियों ने बच्चे के शरीर पर पत्थर बांधकर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया था।

निचली अदालत ने इसे “रेयर ऑफ रेयरेस्ट” मामला मानते हुए तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन अब हाईकोर्ट ने दो को उम्रकैद और एक को बरी कर दिया है।
इस फैसले से पीड़ित परिवार निराश है और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया है।
युग हत्याकांड में हाईकोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित परिवार गहरे आहत और निराश है। परिजनों ने कहा कि उन्हें “न्याय नहीं मिला”।
युग के पिता विनोद गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जिला अदालत ने जब तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी, तब उन्हें विश्वास था कि बेटे की निर्मम हत्या करने वालों को उनके अपराध के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
लेकिन अब हाईकोर्ट ने दो की सजा उम्रकैद में बदल दी और एक आरोपी को बरी कर दिया, जिससे परिवार पूरी तरह टूट चुका है। परिजनों ने साफ कहा है कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, ताकि दोषियों को फांसी की सजा दिलवाई जा सके।
उनका कहना है कि जिस तरह चार साल के मासूम को बंधक बनाकर अमानवीय तरीके से हत्या की गई, वह “रेयर ऑफ रेयरेस्ट” अपराध है और इसके दोषियों को किसी भी तरह की राहत नहीं मिलनी चाहिए।






